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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
चीन
चीन का अर्थ चीन देश में निर्मित रेशमी वस्त्र से है । तिलकमंजरी में चीनी वस्त्र का उल्लेख छः बार हुआ है। इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध चीनांशुक का भी छः बार उल्लेख है, जिसका विवेचन अंशुक के अन्तर्गत किया जा चुका है। वृद्ध प्रतशिकों ने पैरों तक लटकने वाले चीन कंचुक धारण किये थे। चीनी वस्त्र के जोड़े का भी उल्लेख आया है। हरिवाहन ने अभिषेक के अनन्तर स्वच्छ श्वेत चीनी वस्त्र का जोड़ा पहना था ।
मलयसुन्दरी द्वारा शुकांग अर्थात् हरे रंग के चीनी वस्त्र का जोड़ा पहनने का उल्लेख है। उत्तम चीनी वस्त्र की थैली में गन्धर्वक तिलकमंजरी का चित्र लेकर आया था। समरकेतु तथा मलयसुन्दरी के प्रसंग में अन्यत्र भी चीनी वस्त्र का उल्लेख हुआ है। डॉ. मोतीचन्द्र के अनुसार भारत में ईसा से पूर्व ही चीन देश से रेशमी वस्त्र लाया जाने लगा था । कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कौशेय तथा चीनपट्ट नामक दो प्रकार के रेशमी वस्त्रों का उल्लेख है । सोम
तिलकमंजरी में क्षौम वस्त्र का पांच बार उल्लेख हुआ है। उपनयन समूह के समय हरिवाहन ने विशुद्ध तथा महीन क्षौम वस्त्र का उत्तरासंग धारण किया था। समरकेतु ने हरिवाहन की कुशल वार्ता लाने वाले लेखहारक परितोष को
1: तिलकमंजरी, पृ. 153, 164, 229, 293, 311, 404 2. आप्रपदीनचीनकंचुकावच्छन्नवपुषा -वृद्धान्तर्वशिक समूहेन ।
-वही, पृ. 153 3. अतिविमलघनसूत्रेण संख्यानशास्त्रेणेव नवदशालंकृतेन श्वेतचीनवस्त्रद्वयेन संवीतम ।
-वही पृ. 229 4. केन परिवर्तिते....... .....शुकांगखचिनी ते चीननिवासी......
तिलकमंजरी, पृ. 293 5. प्रकृष्टचीनकर्पटप्रेसविकायाः........ वही पृ. 164 6. (क) तेनव चिरन्तनेन चीनवाससा........- वही पृ 311
(ख) दरमलिनजीर्णचीनवासमा....."--वही पृ. 404 7. मोतीचन्द्र-प्राचीन भारतीय वेशभूषा, पृ. 60 8. तिलकमंजरी, पृ. 79, 62, 125, 150, 195 9. अनुपहतसूक्ष्मक्षोमकल्पितोत्तरासंगम् .".""--वहीं, पृ. 19.