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________________ तिलकमंजरी का सांस्कृतिक अध्ययन 145 उल्लेख तिलकमंजरी में आया है-नर्मालापरहस्यगोष्ठी (61), चित्रालंकार बहुल काव्य गोष्ठी (108), सुभाषित गोष्ठी (172,372), गीतगोष्ठी (184) आदि । हर्षचरित के टीकाकार शंकर के अनुसार-विद्या, धन, शील, बुद्धि और आयु में मिलते-जुलते लोग जहां अनुरूप बातचीत के द्वारा एक जगह आसन जमा, वह गोष्ठी है ।1 इन गोष्ठियों का प्रमुख उद्देश्य विनोद-मात्र होते हुए भी इनसे राजकुमार साहित्य एवं कला सम्बन्धी अपने ज्ञान में वर्धन करते थे। अब इनका विस्तार से वर्णन किया जायेगा। साहित्यिक मनोरंजन साहित्यिक मनोरंजन के लिए राजकुमार गोष्ठियां आयोजित करते थे, जिनमें कलाविद्, शास्त्रज्ञ, कवि, कुशलवक्ता, काव्य के गुण-दोषों का विभाग करने वाले, कथा-आख्यायिका में रुचि रखने वाले तथा कामशास्त्रादि ग्रन्थों की आलोचना में अनुरक्त अनेक देशों के राजपुत्र सम्मिलित होते थे। ये गोष्ठियां समान आयु वाले युवकों की होती थी। मतकोकिलोद्यान के जलमण्डप में हरिवाहन ने इसी प्रकार की चित्रालंकार बहुल काव्य-गोष्ठी आयोजित की थी। इस गोष्ठी में विद्वत्सभाओं में प्रसिद्ध पहेलियां बूझी गयी, प्रश्नोत्तर किये गये, षट्प्रज्ञकों की कथा कही गयी, बिन्दुच्युतक, अक्षरच्युतक, मात्राच्युतक श्लोकों का विवेचन किया गया तथा इसी प्रकार की अन्य साहित्यिक पहेलियां बूझी गयीं। ऐसी सभाओं में वेदग्ध्यपूर्ण हास्य के फव्वारे छूटते थे। इसी प्रकार मलयसुन्दरी के आश्रम में विद्याधरगणों के साथ प्रश्नोत्तर, प्रहेलिका, यमकचक्र, बिन्दुमती आदि चित्रालंकार युक्त काव्यों से हरिवाहन ने अपना मनोरंजन किया।1 महापुराण में पद-गोष्ठी, काव्य-गोष्ठी, जल्प-गोष्ठी, गीत-गोष्ठी, नृत्य-गोष्ठी, वाद्य-गोष्ठी तथा वीणा-गोष्ठी के उल्लेख हैं। बाण ने विद्या-गोष्ठी का उल्लेख किया है, जिसके अन्तर्मत पद-गोष्ठी, काव्य-गोष्ठी और 1. अग्रवाल वासुदेव शरण, हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ.12 2. (क) विरमतु विनोदकफला तावदेषा गीतगोष्ठी -तिलकमंजरी पृ. 184 (ख) जायते गीतनृत्यचित्रादि कलासु व्युत्पत्तिः - वही, पृ, 172 3. वही, पृ. 107-8 4. तिलकमंजरी, पृ. 108 5. कदाचित्प्रश्नोत्तरप्रहेलिकायमकचक्रबिंदुमत्यादिमिधित्रालंकारकाव्यः प्रपंचितः विनोदा - वही पृ. 394
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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