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________________ तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन (2) एक ही पद से प्रारम्भ होने वाले अनेक वाक्यों की एक साथ योजना करके काव्य में प्रवाह उत्पन्न करते हैं । यथा 104 (अ) सर्वसागरैरिवोत्पादितगाम्भीर्यः, सर्वगिरिभिरिवाविर्भावितोन्नतिः, सर्वज्वलनेरिव जनितप्रतापः, सर्वचन्द्रोदयेरिव रचितकीर्तिः, सर्वमुनिभिरिव निर्मितोपशन:, सर्वकेसरिभिरिव कल्पितपराक्रमः - पृ. 13--14 (आ) ....मुहु: केशपाशे, मुहुर्मुखशशिनि, मुहुरघरपत्रे, मुहुरक्षिपात्रयोः, मुहुर्नाभिचक्राभोगे, मुहुर्जधनमारे, मुहुरूरूस्तम्भयो:, मुहुश्चरणवारिरूहयोः कृतारोहावरोहया दृष्टया तां व्यभावयत् - पृ. 162 (इ) क्षणं बाहुशिरसि, क्षणं धनुषि, क्षणं कृपाणधाराम्भसि क्षणमातपत्रे, क्षणं मदाध्वजेषु, क्षणं चामरेष्वकुरूत स्थितिम् - पृ. 91 (ई) यथा न धर्मः सोदति, यथा नार्थः क्षयं प्रजति, यथा न राजलक्ष्मीरून्मनायते, यथा न कीर्तिमन्दायते, यथा न प्रतापो निर्वाति, यथा न गुणाः श्यामायते यथा न तमुपहस्यते, यथा न परिजनों विरज्यते -g. 19 (3) वर्ण व मात्राओं की समानता से वाक्य में सौन्दर्योत्पत्ति की गयी है (अ) एक ही वर्ण से प्रारम्भ होने वाले अनेक शब्दों का एक साथ प्रयोग –शरच्छेदेन कं मांसमेदे मन्दं मेदसि मुखरमस्थिषु मन्थरं स्नायुग्रन्थिषु ... - 90 (आ) पद के प्रारम्भ के वर्ण से अगला पद प्रारम्भ करना - (1) ..............सरला सैकतेषु कुंचितां कुशस्तम्बेषु खण्डितां खण्डशैलेषु वलितां वृक्षमूलेषु कुटिलां पंकपटलेषु विरला बालवननदीवेणिकोत्तरेषु पृ. 254 (2) कोलकायकाली कुपति ...केलिमिव कालीयस्य मूच्छितां मूर्च्छामिव महीगोलस्य कण्ठे कालकूटका लिका मित्रकाला ग्निकण्ठेकालस्य ..... पद्धतिमिव पातालपंकस्य - पृ. 233 ....... ( 3 ) ........नन्दन भिव नन्दनस्य, तिलकभिव त्रिलोक्या, रतिगृहमिव रतेरायुधागारमिव कुसुमायुधस्य ..... -g. 212 (4) अतिशीतलतया च कन्दमिव हिमाद्रेरूवर मित्र क्षीरोदस्थ, हृदयमिव हेमन्तस्थ, शरीरान्तरभिव शिशिरानिलस्य ... - पृ. 212 (5) आचारमिव चारित्रस्य, प्रतिज्ञानिर्वाहमिव ज्ञानस्य, शुद्धिसंचयमिव शौचस्य, धर्माधिकारमिव धर्मस्य, सर्वस्वदायमिव दयायाः........ g. 25 (इ) समान मात्राओं इकार, ईकार, आकार द्वारा वाक्य में सौन्दर्य का का आधान किया गया है ।
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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