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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
का समान गुम्फन पांचाली रीति की विशिष्टता है। तिलकमंजरी में शब्द और अर्थ का सुन्दर समन्वय प्राप्त होता है। विकट वस्तुओं के वर्णन में विकट पदों का प्रयोग किया गया है तथा सुकुमार प्रसंगों की अवतारणा में कोमल पदावली आयोजित की गई है । इस शैली को निर्देशित करने वाले कुछ उदाहरण दिये जाते हैं - .. (1) मृदुपवनचलितमृद्विकालतावलयेषु वियति विलसतामसितागुरुधूपधूमयोनिनामासारवारिणेवोपसिच्यमानेष्वतिनीलसुरभिषु गृहोपवनेषु वनितासरवैवि. लासिमिरनुभूयमानमधुपानोत्सवा
-पृ. 8, 9 . (2, अलिकुलववाणमुखरया शतमरवहृतरावणादिसहोदरोदन्तदानापप्रहितया पारिजातदूत्येव स्निग्धसान्द्रया मन्दारमन्जर्या समाधितकश्रवणाम्
-पृ. 54 ___(3) क्वचिदावदहनाश्लिष्टवंशीवनध्यमाणश्रवणनिष्ठुरवात्कारया, क्वचिदकुण्ठकण्ठीखारावचकितसारंगलोचनांशुशारया, क्वचित्तस्तलासीनशबरीविरच्यमानकरिकुम्भमुक्तामि: शबलगुंजाफलप्रालम्बया
-पृ. 200 ___ वैदर्भी तथा पांचाली के समान ही धनपाल ने तिलकमंजरी में गौडी शैली को भी प्रसंगानुसार प्रयुक्त किया है । अटवी वर्णन, वैताढ्य वर्णन तथा युद्ध वर्णन में इसके उदाहरण स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं । कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं
(1) मुक्तमदजलासारकरिघटासहरनमेघमण्डलान्धकारिताष्टविग्भागेषु घनस्तनितघर्घरघूणानिरथनिर्घोषेषु दर्पोत्पतप्तदातिक रतलतुलिततरवारितडिल्लताप्रतानवन्तुरितान्तरिक्षकुक्षिषु प्रचण्डानिलप्रणुनकरकोपलप्रकरपातमुखरसप्तिरचरपुटध्वाननितजगज्ज्वरेषु
-पृ. 16 ___ (2) ... .."समत्सरसुभसिंहनावबधिरीकृताम्यर्णवासिजनकर्णधोरणिनीरन्घ्रपाषाणक्षेपक्षणमात्रस्थलीकृताम्बरतलानि निर्दयप्रहततूर्यखपयासितकातरकरशस्त्राणि यन्त्र विक्षिप्ताग्नितप्ततैलच्छटाविघटामानविकटपदातिगुम्फानि -पृ. 83
(3) ... क्वचित्प्रलयवातविधूतपुष्करावर्तकमेघमुक्तं : क्वचित्कुलिशकर्कश हिरण्याक्षवलोमिधातदलितमहावराहदष्ट्राङ्क रोच्छलिते: क्वचित्कमठपतिपृष्ठकषणोत्थपावकप्रदीप्तमन्दरनितम्बवेणुस्तम्वनिष्ठचूतः
-121 लम्बे-लम्बे समासों से युक्त तथा उत्कट पदों से युक्त गौडी शैली कहलाती है । वामन के अनुसार ओज और कान्ति नामक गुणों से युक्त गौडी शैली होतो
6. शब्दार्थयोः समो गुम्फः पांचालीरीतिरिष्यते । शीलाभट्टारिका वाचि बाणोक्तिषु च सा यदि ॥
-जल्हण, सूक्तिमुक्तावली, पद्य 27