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________________ तिलकमंजरी का साहित्यिक अध्ययन 99 ने समास रहित अथवा अल्प समास युक्त, माधुर्य गुण के व्यंजक वर्गों की ललित रचना को वैदर्भी रीति का नाम दिया है । धनपाल ने तिलकमंजरी में रीतियों में वैदर्भी को ही सर्वाधिक उद्भासित कहा है । धनपाल की इस विशिष्ट शैली को प्रदर्शित करने हेतु नीचे कुछ उदाहरण दिये जाते हैं (1) यथा न धर्मः सीदति, यथा नार्थः क्षय वृजति, यथा न राजलक्ष्मीरून्मनायते, यथा न कीर्तिमन्दायते, यथा न प्रतापो निर्वाति, यथा न गुणाः श्यामायन्ते, यथा न श्रुतमुपहस्यते, यथा न परिजनो बिरज्यते, यथा न शस्त्रवस्तरलायन्ते तथा सर्वमन्वतिष्ठत् -पृ. 19 (2) अनयास्माकमविकला त्रिवर्गसम्पत्तिः, अनुवै जको राज्यचिन्ताभारः, आकीर्णा महीस्पृहणीया भोगाः, सफलं यौवनम् अजनितवीडः क्रीडारसः, अभिलषणीयाविलासा:, प्रीतिदायिनो महोत्सवाः, रमणीयो जीवलोकः -पृ. 28 .. (3) ....... आचारमिव चारित्रस्य, प्रतिज्ञानिर्वाहमिव ज्ञानस्य शुद्धिसंचयमिव शौचस्य, धर्माधिकारमिव धर्मस्य, सर्वस्ववायमिव दयायाः -पृ. 25 प्रमुखतया वैदर्भी रीति का प्रयोग करते हुए भी धनपाल वयं-विषय तथा प्रसंगानुसार पांचाली एवं गौडी रीति का भी आश्रय लेते हैं। धनपाल को वैदर्भी के समान ही पांचाली शैली के प्रयोग में सिद्धहस्तता प्राप्त है। विभिन्न प्रसंगों पर वे इसी शैली में अपने अर्थों को मुखरित करते हैं। माधुर्य एवं सुकुमारता युक्त पांचाली शैली कही गयी है। पांचाली शैली में गद्य प्रायः पांच या छः पदों वाले समास से युक्त होता है। राजशेखर के अनुसार पांचाली रीति में छोटे-छोटे समास, किंचित् अनुप्रास व उपचार का प्रयोग होता है-यत्....... ईषदसमास ईषदनुप्रासभुपंचारगर्भ च जगाद सा पांचाली रीतिः । शब्द तथा अर्थ 1. माधर्यव्यंजकर्वणरूंचना ललितात्मिका । अवृत्तिरल्पवृत्तिवां वैदर्भी रीतिरिष्यते ॥ -विश्वनाथ साहित्य दर्पण, 9, 23 वैदर्भीमिव रीतिनाम् -तिलकमंजरी, पृ. 159 3. माधुर्यसौकुमार्योपन्ना पांचाली -वामन, काव्यालंकारसूत्रवृत्ति 1, 2, 13 4. समस्तपंचषपदाभोजः कान्तिविजितम् । मधुरासुकुमारांच पांचाली कवयो विदुः ।। -भोज, सरस्वतीकण्ठाभरण, 2, 30 5. राजशेखर काव्यमीमांसा, पृ. 19 -
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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