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________________ ७२ श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन सुमतिसागर ने ही एक सुन्दर "नेमिगीत” की रचना की थी जिसमें बड़े मार्मिक ढंग से वर्णित है कि स्वामी के अभाव में अबला नारी राजुल स्वयं को कैसा निरीह, अनाथ, परिमलविहीन पुष्प, कमल रहित सरोवर, प्रतिभाविहीन मन्दिर जैसा अनुभव करती है । गीत "भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कृतित्व" में प्रकाशित हुआ है ।। १५. नेमिनाथ हमची या नेमीश्वर हमची (भद्वारक कुमुदचन्द्र) इस हमची में कुल ८७ छन्द हैं और भाषा राजस्थानी मराठी मिश्रित है । कुमुदचन्द्रकृत "त्रण्यरति गीत” एक विरहात्मक गीत है जिसमें तीन प्रमुख ऋतुओं में प्रिय वियोग जनित, राजुल की मनोव्यथा का बड़ा मर्मस्पर्शी चित्रण है। इसी प्रकार ३१ छन्दों वाले "हिन्दोल" गीत में कवि ने विश्व विदग्धा राजीमती के सन्देश विभिन्न वाहकों के माध्यम से नेमिनाथ तक पहुँचायें हैं । नेमिनाथ का “द्वादशमासा" भी कुमुदचन्द्र रचित १४ छन्दों की लघु कृति है । आषाढ़ से श्रावण तक प्रसारित इस गीत में राजुल के उद्गारों की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है। नेमिजिनगीत, नेमिनाथबारहमासा, नेमीश्वरगीत कवि की अन्य रचनायें उपलब्ध हैं। रचयिता : रचनाकाल उपर्युक्त कृति के रचनाकार भट्टारक कुमुदचन्द्र हैं जो प्रसिद्ध भट्टारक रत्नकीर्ति के प्रमुख शिष्य थे । इनका समय वि० सं० १६५६-१६८५ (सन् १५९९-१६२८ ई०) है। उक्त सभी रचनाओं का मूल पाठ “भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र - व्यक्तित्व एवं कृतित्व" (डा० कासलीवाल) में प्रकाशित हुआ है। ९६. नेमिगीत (ब्रह्म संयमसागर) नेमिनाथ के ऊपर लिखित यह एक लघुकाय किन्तु प्रभावक गीतिकाव्य है । रचयिता-: रचनाकाल प्रस्तुत गीत के रचयिता ब्रह्म संयमसागर हैं, जो भट्टारक कुमुदचन्द्र के शिष्य थे । कवि की कोई बड़ी रचना प्राप्त नहीं हुई है । नेमिगीत का सृजन सत्रहवीं शताब्दी के दूसरे चरण में किया था । इसके अतिरिक्त इन्होंने नेमि विषयक स्फुट पद रचे जो विभिन्न गुटकों में संग्रहीत हैं । इनका समय १७ वीं शताब्दी है।' १. द्रष्टा 'डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य", अनेकान्त, अक्तूबर-दिसम्बर १९८६, पृ० - ११-१२ एवं द्रष्टव्य - भट्टारक रत्लकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कृतित्व । पृ०१२ . २. भट्टारक रत्लकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र-व्यक्तित्व एवं कृतित्व, पृ० - ६३ ३. वही, पृ०५९, २०२ ४. द्रष्टव्य - डा० इन्दुण्य जैन द्वारा लिखित 'मिशीर्षक हिन्दी साहित्य", अनेकान्त, अक्तूबर-दिसम्बर १९८६, पृ० - १२
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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