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________________ जैन चरित काव्य : उद्भव एवं विकास रचयिता : रचनाकाल जम्बूस्वामि चरित के रचयिता विद्याभूषण भट्टारक हैं । इन्होंने वि० सं० १६५३ (१५९६ई०) में जम्बूस्वामिचरित की रचना की । विश्वसेन के पट्टशिष्य विद्याभूषण ने वि० सं० १६०४ में दो मूर्तियों की प्रतिष्ठा करवाई थी। सम्भवतः ये विद्याभूषण ही जम्बूस्वामीचरित के रचयिता हैं। १३१. भविष्यदत्तचरित : (पद्म सुन्दर गणि) इस चरितकाव्य में पाँच सर्ग हैं । जिन पुण्यपुरुष भविष्यदत्त का आख्यान निबद्ध है । इसकी हस्तलिखित प्रति वि० सं० १६१५ (१५५८ ई०) बम्बई के ऐलक पन्नालाल सरस्वती भवन में उपलब्ध है। १३२. पार्श्वनाथचरित : (पद्म सुन्दर गणि) यह सप्तसर्गात्मक काव्य है । इसमें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का चरित्र अंकित है । रचयिता : रचनाकाल ___भविष्यदत्त चरित व पार्श्वनाथ चरित के रचयिता पद्मसुन्दरगणि हैं । पं० पद्मसुन्दर आनन्दमेरु के प्रशिष्य और पद्ममेरु के शिष्य थे। इन्होंने भविष्यदत्त चरित की रचना वि० सं० १६१४ (१५५७ ई०) कार्तिक शुक्ल पंचमी में की । अतः इनका समय १६वीं शताब्दी का है। १३३. पार्श्वनाथचरित' : (उदय वीर गणि) ___यह ग्रन्थ आठ सर्गात्मक है । जिसमें हेमचन्द्राचार्य के विषष्टिशलाका पुरुषचरित की परम्परा के अनुसार तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ का चरित संस्कृत गद्य में लिखा गया है । बीच-बीच में अवान्तर कथाओं का भी समावेश हुआ है। रचयिता : रचनाकाल इस चरितकाव्य के रचयिता उदयवीरगणि हैं जो तपागच्छीय हेमसूरि के प्रशिष्य और संघवीर के शिष्य थे । प्रशस्ति के अनुसार पार्श्वनाथचरित का रचनाकाल वि० सं० १६५४ (१५९७ ई०) है । १३४. उत्तमकुमारचरित : (चारु चन्द्र) __इस चरितकाव्य में ६८६ पद्य हैं । उत्तमकुमार एक धार्मिक एवं साहसी राजकुमार थे। इस काव्य में उनकी साहसपूर्ण घटनाओं का चित्रण किया गया है । बीच-बीच में अवान्तर कथायें भी दी गई हैं तथा अन्य ग्रंथों के प्राकृतपद्य भी ग्रहण किये गये हैं । १.जैन साहित्य का बृहद इतिहास, भाग-६, पृ०१५५ २.भट्टारक सम्प्रदाय लेखांक ६७६,६७७, पृ०-२७१ ३.तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-४, पृ०-८३ ४.देखें जैनाचार्यों का अलंकार शास्त्र में योगदान, पृ०-४६ ५.तीर्थार महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-४, १८३ ६.जैन धर्म प्रसारक सभा भावनगर वि० सं० १९७० में प्रकाशित ७.पार्श्वनाथचरित, सर्गान्त पुष्पिका ८.हीरालाल हंसराज जामनगर १९०९ ई० में प्रकाशित ९.जिनरत्नकोश, पृ० - ४१
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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