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________________ अनेक वाग्भट 1 मि निर्वाण का कर्ता अध्याय - संस्कृत साहित्य के अनुशीलन से ज्ञात होता है कि वाग्भट नामक कई विद्वान् हुए १ (ग) १. “अष्टांग हृदय” नामक “ आयुर्वेद” के रचयिता एक वाग्भट हुए हैं परन्तु कोई काव्य ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है तथा इनका समय भी अत्यन्त प्राचीन है । २. एक वाग्भट नाम के कवि हुये हैं जिनका कोई परिचय प्राप्त नहीं होता । ३. वाग्भट नाम के एक अन्य आलंकारिक हुये हैं जिन्होंने “काव्यानुशासन” की रचना की है । जो वाग्भट द्वितीय के नाम से जाने जाते हैं । ४. “जैन सिद्वान्त भवन”” की लिखी हुई हस्तलिखित प्रति से प्राप्त वाग्भट का परिचय मिलता है जिन्होंने वाग्भटलंकार तथा नेमि-निर्वाण की रचना की है । काव्यानुशासन के रचयिता वाग्भट को अभिनव वाग्भट अथवा वाग्भट द्वितीय के नाम से अभिहित किया जाता है । डा० नेमिचन्द्र ज्योतिषाचार्य ने नेमि - निर्वाण के कर्त्ता वाग्भट को वाग्भट- प्रथम कहा है । किन्तु आधुनिक विद्वान् सामान्यतः वाग्भटालंकार के कर्ता को वाग्भट - प्रथम और काव्यानुशासन के कर्ता को वाग्भट द्वितीय मानते हैं । यही वास्तव में ये वाग्भट प्रथम हैं क्योंकि काव्यानुशासन के प्रणेता वाग्भट द्वितीय ने स्वयं नेमि - निर्वाण के कर्त्ता, वाग्भटालंकार प्रणेता वाग्भट प्रथम का उल्लेख किया है - १. द्रष्टव्य - जैन सिद्धान्त भवन, आरा की विक्रम सं० १७२७ की प्रति २. तीर्थङ्कर महावीर और उसकी आचार्य परम्परा, भाग-४, पृ०- २२ ३. वाग्भट विवेचन आचार्य प्रियव्रत शर्मा, पृ० - २८२ “दण्डिवामनवाग्भटादिप्रणीता दश काव्यगुणाः । वयं तु माधुर्यौजः प्रसादलक्षणास्त्रीनेव गुणान् मन्यामहे ।” अलंकार शास्त्रकारों में वाग्भट नाम के ये दोनों आलंकारिक जैन मतानुयायी हो चुके हैं परन्तु परवर्ती किं वा समान वाग्भटालंकार प्रणेता वाग्भट का उल्लेख दोनों के परस्पर भिन्न होने से भिन्न-भिन्न अलंकार ग्रन्थों के प्रणयन करने का एक प्रामाणिक संकेत है, जिसमें किसी भी प्रकार का सन्देह नहीं किया जा सकता । आयुर्वेद के प्रकरण ग्रन्थ "अष्टांग हृदय" के रचयिता भी वाग्भट नाम के ही आचार्य हो चुके हैं किन्तु इन्हें वाग्भटालंकार के प्रणेता “वाग्भट प्रथम” से अभिन्न नहीं माना जा सकता ४. काव्यानुशासन, पृ० ३१
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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