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आदिपुराण में दार्शनिक पृष्ठभूमि
वेदव्यास ने की थी। इनमें सृष्टि की उत्पत्ति, लय तथा प्राचीन ऋषियों और राजवंशों आदि के वृत्तान्त तथा देवी देवताओं, तीर्थों
आदि के माहात्म्य हैं।6 पुराण पि. (सं.) प्राचीन, पुराना, जीर्ण शीर्ण। पु. प्राचीन वृत्तान्त, सृष्टि लय, मन्वन्तरों तथा प्राचीन ऋषियों, मुनियों और राजाओं के वंशों तथा चरितों के वर्णन से युक्त, प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रन्थ (जो 18 हैं – विष्णु, पद्म, ब्रह्म, शिव, भागवत, नारद, मार्कण्डेय, अग्नि, ब्रह्मवैवर्त, लिंग, वराह, स्कन्द, वामन, कूर्म, मत्स्य, गरुड, ब्रह्माण्ड और भविष्य)।
पद्मचन्द्र कोष के अनुसार - "पुराण पुराभवम्" अर्थात् पहले का, ऐसा अर्थ किया गया है।57
व्याकरण, निरुक्त तथा पुराणों आदि में उपलब्ध पुराण शब्द की व्युत्पत्तियों तथा कोशों में दिए गये अर्थों की मीमांसा करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि पुराण का सम्बन्ध प्राचीनता से है। इसका वर्ण्य विषय प्राचीन है। पुराण शब्द की व्युत्पत्ति जन्य अर्थ पुरातन, प्राचीन, चिरन्तन तथा पूर्वकालिक आदि किया जाता है। अतः प्राचीनकाल में घटित सृष्टि रचना, प्रलय, ऐतिहासिक घटनाओं, वृत्तान्तों एवं व्यक्तियों आदि का वर्णन करने वाला साहित्य पुराण है।
पुराण का लक्षण
पद्म पुराण में "पुरा परम्परा वष्टि कामयते''58 अर्थात् जो प्राचीनता की अथवा परम्परा की कामना करता है, वह "पुराण" कहा जाता है।
सृष्टि-प्रवृत्ति-संहार-धर्म-मोक्ष-प्रयोजनम्। ब्रह्मभिर्विविधैः प्रोक्तं पुराणं पञ्चलक्षणम्॥१ सर्गश्चाथ विसर्गश्च वृत्ती रक्षान्तराणि च। वंशो वंशानुचरितं संस्था हेतुरपाश्रयः॥००
सृष्टि, प्रतिसर्ग (प्रलय) प्रसिद्ध राजवंश परम्परा. मनुष्यों का वर्णन और विशिष्ट व्यक्तियों का पावन चरित्र ये पाँच विषय प्रधान रूप में जिस ग्रन्थ में वर्णित हों, उन्हें पुराण कहते हैं। मत्स्य पुराण में पुराण का लक्षण----