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________________ . 16 जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में आदिपुराण संस्कृत हिन्दी शब्दकोष में वामन शिवराम आप्टे ने पुराण का अर्थ इस प्रकार कहा है - अतीत घटना या वृत्तान्त, अतीत की कहानी, उपाख्यान, प्राचीन या पौराणिक इतिहास, कुछ विख्यात धार्मिक पुस्तकें जो गिनती में 18 हैं तथा व्यास द्वारा प्रणीत मानी जाती हैं, जिन्हें पंचलक्षण भी कहा जाता है।49 पुराणं क्नी (पुरा भवमिति) पुरा सायं चिरं प्राज्ञेप्रागेऽप्ययेभ्यष्ट्युटयुलौतुट च 4.3.23 इति टयुः। पूर्व कालैकसर्वजरतपुराणनवकेवलाः समानाधिं करणेन 2.1.49 इति निपातनात् तुडभावः। यद्वा “पुराणप्रोक्तेषु ब्राह्मणकल्पेतु" 8.3.105 इति निपातितः। यद्वा, पुरा नीचते इति। नी + ड गत्व च। व्यासादिमुनिप्रणीतवेदार्थवर्णित पञ्चलक्षणान्वित शास्त्रम्। तत्पर्यायः। पञ्चलक्षणम् इत्यमरः। 9.550 पद्मपुराण में दी गई व्युत्पत्ति वायु-पुराण की व्युत्पत्ति से कुछ भिन्न है। इसके अनुसार प्राचीन परम्परा की कामना करने के कारण इसे पुराण कहा जाता है। शब्द कोशों में "पुराण" शब्द से विभिन्न अर्थ मिलते हैं। पुराण शब्द के प्रबन्ध, अतीत काल तथा संकट ये तीन अर्थ किये गये है।52 हेमचन्द्र ने अपने कोश में षोडषपण तथा प्राचीन-शास्त्र यह दो अर्थ पुराण शब्द के किये है।53 नानार्थ रत्नामाला में पुराण को पुरातन ग्रन्थ भेद कहा है। महाभारत के टीकाकार नीलकण्ठ ने पुराण को पुरावृत अर्थात् प्राचीन वृत्तान्त कहा है। 1. प्राचीनकालीन कोई घटना। 2. अतीत काल की कथा। प्राचीन आख्यान। पुरानी कथा। 3. हिन्दुओं के वे 18 धार्मिक आख्यान या धर्मग्रन्थ, जिनकी रचना
SR No.022656
Book TitleJain Darshan Ke Pariprekshya Me Aadipuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSupriya Sadhvi
PublisherBharatiya Vidya Prakashan
Publication Year2010
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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