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आदिपुराण में दार्शनिक पृष्ठभूमि पुराण क्यों कहा जाता है। इसलिए कि जो कभी पहले नया हो। भगवान को भी पुराण कहा जाता है।
गीता में भगवान् की प्रार्थना में पुराण शब्द आया है - 'कविं पुराणमनुशासितारम्'45 अर्थात् भगवान कान्तदर्शी तथा पुराण होने के कारण अनुशासक हैं। तात्पर्य यह है कि पुराण शब्द का अर्थ अति प्राचीन है। इस प्रकार पुराण शब्द की व्युत्पत्ति से पुराण शब्द में नूतनता का भाव नहीं है, किन्तु पुराण शब्द का अर्थ पुरातन है। पुराण शब्द से प्राचीन आख्यायिका युक्त व्यासकृत 18 ग्रन्थ विशेष समझे जाते हैं। यदि पुराणों को कोई नवीन कह सकता है तो वही कह सकता है, जिसको पुराण शब्द की व्युत्पत्ति का ज्ञान न हो। विचारशील व्यक्ति तो व्युत्पत्तिमात्र से ही पुराणों को प्राचीन समझते हैं।
यस्मात् पुरा नानितीदं पुराणं तेन तत् स्मृतम्। निरुक्तमस्य यो वेद सर्वपापैः प्रमुच्यते।। यद्यपि पुराण शब्द के पर्यायवाची प्रतन, प्रत्न, पुरातन, चिरन्तन आदि शब्द हैं तथा वैदिक संस्कृति में पुराण शब्द विशेष रूप से महर्षि व्यासकृत, अष्टादश ग्रन्थों में रूढ़ हो गया है। पुराण शब्दों को सुनते ही व्यासकृत अष्टादश पुराण का स्मरण हो जाता है। पुराण का अर्थ
वि. (पुराण)। (पुराना, पुरातन) (गउड; उत्तर 8, 12)
(2) व्यासादि-मुनि प्रणीत ग्रन्थ विशेष, पुरातन इतिहास के द्वारा जिसमें धर्म-तत्त्व निरूपित किया जाता हो वह शास्त्र।47
पुराण शब्द की व्युत्पत्ति है - "पुरा एतत् अभूत्" अर्थात् प्राचीनकाल में ऐसा हुआ है।
पुराण के पर्याय शब्दों में "पुराणं पंचलक्षणम्'' पुराण और पंचलक्षणम् दो नाम स्वीकार किये गये हैं।
पुराण शब्द का अर्थ उस शास्त्र से लेते हैं, जो पहले हुआ है अथवा पहले होकर भी नवीन या पहले ही भूत के साथ भविष्य अर्थों का कथन करने वाला हो -
पुरा भवं। यद्वा पुरा अतीतानागतावर्थावणाति।48