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आदिपुराण में पुण्य-पाप आस्रव संवर, निर्जरा, निर्जरा के हेतु तप.....
9. वही ।
10. वही ।
11. वही।
12. स्था. सू. 9.1.16 (वि.)
13. वही ।
14. वही ।
15. स्था.सू. 1.1.50 (वि.)
16. स्था.सू. 1.1.50 (वि.)
17. वही ।
18. वही ।
19. वही।
20. वही ।
21. आ. पु. 10.171, 18.114, 34.172
22. स्था.सू. 1.1.50 (वि.)
23. वही ।
24. वही ।
25. वही ।
26. वही ।
27. स्था. सू. 1.1.50 (वि.).
28. वही ।
29. वही ।
30. वही ।
31. वही ।
32. वही।
33. वही ।
34. स्था. सू. 1.1.50 (वि.)
35. वही ।
36. आस्रवं पुण्यपापात्मकर्मणां सह संवरम् । 37. मनोवाक् कार्यकर्माणि योगाः कर्मशुभाशुभम् । यदाश्रवन्ति जन्तूनामाश्रवास्तेन कीर्तिताः ।।
38. कायवाङ्मनः कर्मयोगः स आस्रवः ।
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आ. पु. 11.108
यो.श. (च.प्र.) गा. 74
त. सू. 6.1-2