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जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में आदिपुराण
वस्त्र मात्र परिग्रह को रखकर शेष सब परिग्रह को छोड़ देता है और स्वीकृत वस्त्र मात्र परिग्रह में भी मूर्च्छा नहीं करता, उसे नौवाँ प्रतिमाधारी श्रावक है। 73
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10. अनुमति त्याग प्रतिमा
यह प्रतिमा में साधक किसी भी आरम्भ समारम्भ के कार्य को न स्वयं करता न दूसरों को कार्य करने की सलाह देना अनुमति कहलाती है अथवा कार्यशील व्यक्ति द्वारा स्वयं कार्य सम्पन्न कर लेने से उसके कृत्य पर प्रसन्न होना भी अनुमति कहलाती है। घर में रहकर भी इष्ट-अनिष्ट कार्यों के प्रति - द्वेष नहीं करता। भोजन के समय आमन्त्रित करने पर वह भोजन ग्रहण करता है। भले ही वह भोजन उसके निमित्त से क्यों न बनाया हो । 574
राग
11. उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा
जो भोजन मुनियों के उद्देश्य से तैयार किया जाता है वह साधक के योग्य नहीं है। साधक उद्दिष्ट भोजन ग्रहण नहीं करते। श्रावकों के घर ही भोजन के लिए जाते हैं और वहाँ प्राप्त हुआ निर्दोष भोजन ग्रहण करते हैं। 375
जो पुरुष मन, वचन, काया से भोजन बनाता नहीं, दूसरों से बनवाता नहीं, बनते हुए का अनुमोदन करता नहीं, ऐसे शुद्ध भावों से भोजन ग्रहण करता है वह उद्दिष्ट त्याग ग्यारहवीं प्रतिमा का धारक श्रावक कहलाता है। 576
प्रथम चार प्रतिमाओं के नाम दोनों ही परम्पराओं में एक समान मिलते हैं, प्रेष्य और परिग्रह भी प्रायः एकार्थक है किन्तु सचितत्याग का क्रम श्वेताम्बर परम्परा में सातवाँ है, तो दिगम्बर परम्परा में इसे पाँचवाँ स्थान प्राप्त है। श्वेताम्बर परम्परा में पाँचवीं प्रतिमा के नियम में रात्रि भोजन त्याग का वर्णन समाहित है, जबकि दिगम्बर परम्परा में दिवा मैथुन रात्रि भुक्ति त्याग को स्वतन्त्र छठी प्रतिमा माना गया है। दिगम्बर परम्परा में ब्रह्मचर्य प्रतिमा को जहाँ सातवें स्थान पर लिया गया है, वहीं श्वेताम्बर परम्परा में इसका छठा स्थान है। श्वेताम्बर परम्परा में उद्दिष्टत्याग प्रतिमा में ही अनुमतित्याग प्रतिमा समाविष्ट है किन्तु दिगम्बर ग्रन्थों में इसे स्वतन्त्र महत्ता प्रदान की गई है और दसवें स्थान पर रखा गया है। श्वेताम्बर परम्परा में इस संख्या पर उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा को रखा गया है क्योंकि इसमें श्रावक का आचार श्रमण सदृश हो जाता है। इस प्रकार से ग्यारह प्रतिमाएँ वास्तव में श्रावक की ग्यारह श्रेणियाँ हैं, जिनमें एक के पश्चात् दूसरी तीसरी श्रेणी परश्रावक स्वयं को स्थिरकर आत्मिक उत्थान के उत्तरोत्तर सोपान पर क्रमशः बढ़ता चला जाता है।