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________________ 1201 जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में आदिपुराण ___1. भद्र 2. सुभद्र 3. सुजात 4. सुमनस 5. प्रियदर्शन 6. सुदर्शन 7. अमोघ 8. सुप्रतिबद्ध 9. यशोधर।86 अनुत्तर का अर्थ है – सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ विमान। उन अनुत्तर विमानों में उपपात यानि जन्म होने के कारण ये देव अनुत्तरोपपातिक कहलाते हैं। अनुत्तर विमान के 5 प्रकार के हैं - 1. विजय 2. वैजयन्त 3. जयन्त87 4. अपराजित 5. सर्वार्थसिद्ध। यद्यपि अन्य निकायों के देवों के भी विमान होते हैं, किन्तु वैमानिक देवों के विमानों की यह विशेषता है कि वे अतिशय पुण्य के फलस्वरूप प्राप्त हो पाते हैं, उनमें निवास करने वाले देव भी विशेष पुण्यवान होते हैं। जैसे एक सामान्य मकान और कोई आलीशान बंगला, जिसमें आधुनिकतम सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। मकान या निवास स्थान दोनों ही हैं। किन्तु जैसा अन्तर इन मकानों में हैं, वैसा ही अन्तर अन्य देवों और वैमानिक देवों के विमानों में समझना चाहिए।88 यह बात निम्नलिखित तालिका में इस प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता वैमानिक कल्पातीत कल्पोपन्न 1. सौधर्म 2. ईशान 3. सनत्कुमार 4. माहेन्द्र 5. ब्रह्म 6. लांतक 7. महाशुक्र 8. सहस्रार 9. आणत 10. प्राणत 11. आरण 12. अच्युत नव ग्रैवेयक 1. भद्र 2. सुभद्र 3. सुज्ञात 4. सुमानस 5. प्रियदर्शन 6. सुदर्शन 7. अमोघ 8. अप्रतिबद्ध 9. यशोधर अनुत्तर विमान 1. विजय 2. वैजयन्त 3. जयन्त 4. अपराजित 5. सर्वार्थसिद्ध
SR No.022656
Book TitleJain Darshan Ke Pariprekshya Me Aadipuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSupriya Sadhvi
PublisherBharatiya Vidya Prakashan
Publication Year2010
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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