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आदिपुराण में नरक-स्वर्ग विमर्श
113 दूसरी पृथ्वी में शरीर की ऊँचाई - पन्द्रह धनुष दो हाथ बारह अंगुल। तीसरी पृथ्वी में शरीर की ऊँचाई - इकतीस धनुष एक हाथ। चौथी पृथ्वी में शरीर की ऊँचाई - बासठ धनुष दो हाथ। पाँचवीं पृथ्वी में शरीर की ऊँचाई - एक सौ पच्चीस धनुष। छठी पृथ्वी में शरीर की ऊँचाई - दो सौ पचास हाथ।
सातवीं पृथ्वी में शरीर की ऊँचाई - पाँच सौ धनुष।। नारकी जीवों के शरीर की आकृति
नारकी जीवों के शरीर की आकृति विकलांग, हुण्डक संस्थान वाले नपुंसक, दुर्गन्धयुक्त बुरे काले रंग के धारक, कठोर स्पर्श वाले, कर्कश भाषा वाले, दुर्भग देखने में अप्रिय होते हैं। नारकीयों का शरीर काले और रुखे परमाणुओं से बना होता है।52
प्रश्न व्याकरण सूत्र में नारकी जीवों के शरीर की आकृति के बारे में बतलाया है कि उनका शरीर विकलांग, बेडौल, भद्दी आकृति वाले, देखने में बीभत्स, घृणित, भयानक व हुण्डक संस्थान वाले होते है। वे नपुसंक वेद वाले होते हैं।2A नारकी जीवों में लेश्याएँ
सभी नारकियों में द्रव्य लेश्या अत्यन्त कृष्ण होती है परन्तु भावलेश्या में अन्तर है
पहली पृथ्वी में जघन्य (कम से कम) कापोत भाव लेश्या है। दूसरी पृथ्वी में मध्यम (न कम न अधिक) कापोत लेश्या है।
तीसरी पृथ्वी में उत्कृष्ट (अधिक से अधिक) कापोत लेश्या और जघन्य नील लेश्या है।
चौथी पृथ्वी में मध्यम नील लेश्या है। पाँचवीं पृथ्वी में उत्कृष्ट नील और जघन्य कृष्ण लेश्या है। छठी पृथ्वी में मध्यम कृष्णलेश्या है। सातवीं पृथ्वी में उत्कृष्ट कृष्ण लेश्या है।