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जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में आदिपुराण
नरक में बिलों की गिनती
नारकियों के रहने योग्य स्थान को बिल कहते हैं । सात पृथ्वियों में क्रम से बिलों की गणना इस प्रकार है
पहली पृथ्वी में नारकियों की बिलें- तीस लाख हैं । दूसरी पृथ्वी में नारकियों की बिलें - पच्चीस लाख हैं। तीसरी पृथ्वी में नारकियों की बिलें - पन्द्रह लाख हैं। चौथी पृथ्वी में नारकियों कि बिलें- दस लाख हैं। पाँचवीं पृथ्वी में नारकियों की बिलें - तीन लाख हैं। छठी पृथ्वी में नारकियों की बिलें पाँच कम एक लाख हैं।
सातवीं पृथ्वी में नारकियों की बिलें - पाँच हैं ।
ये बिलें बहुत ही विशाल है और सदा ही जाज्वल्यमान रहती है। इन बिलों में पापी - नारकी हमेशा कुम्भीपाक अर्थात बन्द घड़े में पकाये जाने वाले जल आदि के समान पकते हैं। 49
नारकियों की आयु
नरक में रहने वाले नारकियों की आयु इस प्रकार कही गई हैप्रथम पृथ्वी की जघन्य आयु 10000 वर्ष व उत्कृष्ट 1 सागर की है। द्वितीय पृथ्वी की जघन्य आयु 1 सागर व उत्कृष्ट 3 सागर की है। तृतीय पृथ्वी की जघन्य आयु 3 सागर व उत्कृष्ट 7 सागर की है। चतुर्थ पृथ्वी की जघन्य आयु 7 सागर व उत्कृष्ट 10 सागर की हैं। पंचम पृथ्वी की जघन्य आयु 10 सागर व उत्कृष्ट 17 सागर की है। षष्ठ पृथ्वी की जघन्य आयु 17 सागर व उत्कृष्ट 22 सागर की है। सप्तम पृथ्वी की लघन्य आयु 22 सागर व उत्कृष्ट 33 सागर की है। 50 नारकी जीवों के शरीर का परिमाण नरक में रहने वाले जीवों के शरीर का परिमाण इस प्रकार है
पहली पृथ्वी में शरीर की ऊँचाई
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सात धनुष तीन हाथ छ: अंगुल ।