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आदिपुराण में नरक-स्वर्ग विमर्श
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__ 1. खर भाग या खर काण्ड - खर काण्ड में अनेक प्रकार के नुकीले भयंकर रत्न हैं। इसलिए इसका नाम खर भाग पड़ा। इसकी मोटाई. 16,000 योजन है।
2. पंक बहुल भाग - पंक बहुल काण्ड में अत्यधिक कीचड़ है। इसलिए इसका नाम पंक बहुल भाग पड़ा। इसकी मोटाई 84000 योजन है।
3. अप् बहुल भाग - इसका नाम अव्बहुल भाग भी है। इस काण्ड में दुर्गन्धित जल की अधिकता है। इसलिए इसका नाम अप् बहुल भाग पड़ा। इसकी मोटाई 80000 योजन है।
इस प्रकार रत्नप्रभा भूमि की मोटाई 1 लाख 80 हजार योजन है। इसमें ऊपर और नीचे के एक-एक हजार योजन छोड़कर शेष 1,78,000 योजन में 13 पाथड़ें यानि पृथ्वीपिण्ड हैं और 12 आन्तरें अथवा रिक्त स्थान है। इस प्रकार 13 मंजिल जैसा भवन है। पाथड़ों में नरकावास है। इन नरकावासों की संख्या 30 लाख है आन्तरों में पहले दो आन्तरें रिक्त अर्थात् खाली है और शेष 10 में भवनपति देवों के निवास हैं।'
2. शर्कराप्रभा
शर्कराप्रभा भूमि भाले और बरछी से भी अधिक तीक्ष्ण शूल जैसे कंकरों से भरा है। कंकरों का दूसरा नाम शर्करा है। इसलिए इसका नाम शर्कराप्रभा पड़ा। इस भूमि की मोटाई एक लाख 32 हजार योजन है। इसमें 11 पाथड़े और 12 आन्तरे हैं। इन भूमि की पाथड़ों में 25 लाख नरकावास हैं।10
3. बालुका प्रभा
इस पृथ्वी में भाड़ की तपती हुई गर्म बालु से भी अधिक उष्ण बालु है। इसलिए इस पृथ्वी को बालुका प्रभा नाम की संज्ञा दी गई है। इस भूमि की मोटाई 1 लाख 28 हजार योजन है। इसमें 9 पाथड़े और 8 आन्तरें हैं। इसमें 15 लाख नरकावास हैं।।।।
4. पंकप्रभा पृथ्वी
इस भूमि में रक्त, मांस, पीव आदि दुर्गन्धित पदार्थों का कीचड़ भरा है। इसलिये इसे पंकप्रभा (कीचड़) पृथ्वी कहते हैं। इस भूमि की मोटाई 1 लाख 20 हजार योजन है। इसमें 7 पाथड़े और 6 आन्तरें हैं। इसमें 10 लाख नरकावास हैं।