SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आदिपुराण में तत्त्व विमर्श व जीव तत्त्व विषयक विचारधारायें 77 समदर्शी हो, दया और दान में तत्पर हो मन, वचन, काय के विषय में कोमल परिणामी हों। तेजोलेश्या के पुद्गलों के संसर्ग से आत्मा में ऐसे परिणाम आ जाते हैं। जिनसे उनके स्वभाव में नम्रता, मृदुता ऋजुता आ जाती है और उसमें धर्म तथा धर्मस्थान में रुचि एवं दृढ़ता आ जाती है।235 5. पद्म भाव लेश्या - दान देने वाला हो, भद्रपरिणामी हो, उत्तम कार्य में कुशल, कष्टों को सहन करने वाला हो, गुरुजन की विनय-भक्ति से युक्त हो आदि लक्षणों से युक्त वाले पद्म लेश्या वाले अर्थात् हल्दी के समान रंग के लेश्यामान पुद्गलों से आत्मा में ऐसे परिणाम उत्पन्न होते हैं, जिनसे उनमें क्रोध, मान, माया, लोभ चारों कषाय अधिकतर मन्द हो जाते हैं, चित्त शान्त हो जाता है।236 6. शुक्ल भाव लेश्या - शुक्ल लेश्या237 से आत्मा के परिणाम शुभ हो जाते हैं, जिससे आत्मा आर्त्त, रौद्रध्यान का त्यागकर, धर्मध्यान और शुक्लध्यान में रमण करने लगता है, ये पक्षपात से रहित होते हैं, सभी से समान-भाव रखते हैं। निदान को न बाँधना इष्ट से राग और अनिष्ट से द्वेष न करना, स्त्री, पुत्र, मित्र आदि में स्नेहरहित होना। इन छह लेश्या में कृष्ण, नील, कापोत तीन लेश्याएँ अशुभ238 और तेजो, पद्म, शुक्ल तीन लेश्याएँ शुभ होती हैं। देव व नारकियों में द्रव्य और भाव दोनों लेश्याएँ समान होती हैं पर अन्य जीवों में इन द्रव्य व भाव लेश्याओं की समानता का नियम नहीं है। द्रव्य लेश्या आयु पर्यन्त एक ही रहती है पर भाव लेश्या जीवों के परिणामों के अनुसार बराबर बदलती रहती है।239 11. भव्य मोक्ष पाने की योग्यता-प्राप्ति को भव्य कहते हैं -- (क) भव्य (ख) अभव्य। (क) भव्य - जो जीव मोक्ष जाने के योग्य होते हैं वे भव्य होते हैं। (ख) अभव्य - जो जीव मोक्ष प्राप्ति के सर्वथा अयोग्य हैं वे अभव्य कहलाते हैं।240 12. सम्यक्त्व वीतराग-प्ररूपित पाँच अस्तिकाय, छह द्रव्य तथा नौ तत्त्वों (पदार्थों) पर
SR No.022656
Book TitleJain Darshan Ke Pariprekshya Me Aadipuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSupriya Sadhvi
PublisherBharatiya Vidya Prakashan
Publication Year2010
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy