SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र विचित्र स्वयंवर तो राजा ने कुएँ में फिकवा दिया है । उठो किसका पाणिग्रहण करोगे? क्या यह मंडप रचकर स्वयंवर के बहाने हमें यहां पर बुलवा कर राजा ने हमको मूर्ख तो नहीं बनाया? इत्यादि बातें कहकर वे परस्पर एक दूसरे का मन उत्तेजित करने लगे। इसी समय महाराज वीरधवल की आज्ञा से एक राज पुरुष ने खड़े होकर निवेदन किया। दुर्धर बाहुबल धारण करने वाले राजा महाराजा और राजकुमारो! आप सावधान होकर सुनें, यह जो आप लोगों के सामने वज्रसार नामक धनुष रखा है । इस पर लीला पूर्वक प्रत्यंचा चढ़ाकर, दृढ़ नाराच के एक ही प्रहार से दो हाथ प्रमाण इस स्तंभ के अग्र भाग को भेदकर, जो बलवान राजा या राजकुमार इसके दो हिस्से कर देगा वही कहीं से भी इसी समय प्रकट होने वाली राजकुमारी मलयासुंदरी का पाणिग्रहण करेगा, इस तरह हमें हमारी गोत्र देवी ने कहा हुआ है । इसलिए हे सामर्थ्यवान् राजकुमारों! आप इस स्तंभ को भेदन करने का प्रयत्न करें । उस राजपुरुष के वचनों से प्रेरित हो महान् उत्साही लाट देश का नरेश खड़ा हुआ, परंतु धनुष्य की दुर्धर्षता देख हिंमत हार कर वापिस अपने आसन पर बैठ गया । चारण की प्रेरणा से चौल देश के राजकुमार ने अपने आसन से उठकर जमीन पर पैर तो रखा परंतु वज्रसार धनुष की उत्कटता देखकर उसके मुख पर ग्लानि छा गयी अतः सबकी हंसी पूर्वक उसे वापिस अपने स्थान पर बैठ जाना पड़ा। आमर्ष से उठा हुआ गौड़ देश का राजा धनुष को हाथ में उठाते ही उसके बोझ से जमीन पर गिर पड़ा, यह देख सभा में बैठे हुए समस्त राजकुमार तालियां बजाने लगे। इससे शर्मिन्दा होकर गौड़ देश के नरेश को भी नीचा मुंहकर अपने स्थान पर बैठ जाना पड़ा। कर्नाटक देश के राजकुमार ने जोश में आकर धनुष को उठा तो लिया, परंतु उस पर बाण चढ़ाते ही वह झुककर जमीन पर गिर गया । इस प्रकार बहुत 95
SR No.022652
Book TitleMahabal Malayasundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay, Jayanandsuri
PublisherEk Sadgruhastha
Publication Year
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy