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वास्य = वर्ष - क्ष ेत्र
३।१३।२३
शिखिन् = मयूर
विकुन्थु = कुन्थु आदि क्षुद्र जीवोंसे रहित ११५४१९ शिखिकुल = मयूरों का समूह विकीर्ण शिरोधि = ग्रीवा
१।१२।२
१२।६८।१५१
७१५८१८३
= व्याप्त
विचिकित्सा = ग्लानि
विजया = एकविद्या
विजयानुज = विजयबलभद्रका छोटा भाई
कतिपय विशिष्ट साहित्यिक शब्द
त्रिपृष्ठ नारायण
७।५९/८३
८।४३।९५
विडालशावक = बिलावका बच्चा विधुरवर्जित = पापरहित, दुःखरहित १२।७०।१५३ विनिवेशित = रखे हुए विपक्षिता = पङ्खोंका अभाव, विरुद्ध पक्षका
६।१७।६६
ग्रहण
१०।२२।१२१
विबुध देव
विभङ्ग = मिथ्याअवधिज्ञान
विरोध = विद्वेष, वि -पक्षियोंका रोका जाना
वृत्त
विवदिषा = बोलने की इच्छा विश्वजनीनवृत्ति = सर्वहितकारीवृत्ति से सहित
= छन्द, चारित्र
१।३७।६ १।६३।११
= प्रदत्त
विश्राणित विहस्तता = विवशता, सूंडसे रहितपना ९।१९।१०५ वीध्र
' = शुक्ल.
८२७७/१००
५।१३।४८ १।६।२ १७।२४।२३२
७।५७१८३
११।१२।१३३
३।९७।३०
१२।५०।१४९
१४।२५।१७१
शयु = अजगर
११।१४।१३३
शरदुडुपति = शरद् ऋतुका चन्द्रमा ११।७१।१४२
शात = तीक्ष्ण
११।७०/१४२ ११।९।१३३
= चारित्रका नाश, छन्दोभङ्ग वृत्तभङ्ग वृषा ( वृषन् ) = इन्द्र
वेगवती = एकविद्या
वैतरणी = नरककी एक नदी वैनतेय
= गरुड़
व्यवाय = मैथुन
शङ्ख = चक्रवर्तीकी एकनिधि
शातकुम्भकुम्भ = स्वर्णकलश
शारि
= पलान
शालिवप्र = धानके खेत
५।१४।४८
६।१०।६५
९४४ १०८
६।१७।६६
८६६ ९८ १।१०।२
३१३
९।१४।१०४
१७।३।२२७
३।१९।३५
शुद्धलेश्य = शुभलेश्यावाला ( कषायके उदयसे अनुयो प्रवृत्तिको लेश्या कहते हैं )
११।५४।१३९
५/५०/५४
११।१६।१३४
१३।६०।१६३
श्रुतदेवता = सरस्वती
श्रुति =
श्वेतभानु = चन्द्रमा षड्वर्ग = काम, क्रोध, लोभ, मोह मद और मात्सर्य इन छह अन्तरङ्ग शत्रुओंका समूह
३।२४।३६
षडाहत = छहसे गुणित
५/३०/५१
षष्ठ = बेला तप-दो दिनका उपवास १७।११५।२४६ सकलकलाधर = समस्त कलाओं - चतुराईयों को धारण करनेवाला, सोलह कलाओंसे सहित
१४।९।१६९
संमद = हर्ष
सर्पिष् = घी
सङ्ग = परिग्रह
सदम्बर = उत्तमवस्त्र, निर्मल आकाश सद्दर्शन = सम्यग्दर्शन
सद्वृत्त = सदाचारी, गोल
सनाभि = सहोदर
१०|३७|१२४
सप्तिगल = अश्वग्रीव ( प्रतिनारायण ) ८।३३।९३ संफली = दूती
१३।४८।१६१
समय = मर्यादा, आचार
६।६६।७४
१२।१८।१४६
७|३४|८० १४।२५।१७१
१५।५।१७६
५।४१।५३
११।३५।१३७
५।९।४७
१२।४९।१४९
१४।९।१६९
सर्वरत्न = चक्रवर्तीकी एकनिधि सार्व = सर्वहितकारी जिनेन्द्र सामिपिहित सिंहगामिनी = एकविद्या
= आधा ढका हुआ
७५८८३
सिंहविलसित = सिंहनिष्क्रीडित नामका एक प
१६।४६।२२४
१०।८।११७
सीरपाणि = बलभद्र - विजय
सुदर्शनोद्यान = जम्बूद्वीप सम्बन्धी मेरुपर्वतका
एक बन
१२।३८।१४८