SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 345
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९८ वर्धमानचरितम् चूलावती = दिक्कन्यका देवी १७।३२।२३३ नीलकण्ठ = एक विद्याधर ६।३०।६८ जय = एक योद्धा ९।६२।१११ नीलाञ्जना = अलकाके राजा मयूरकण्ठकी स्त्री जयावती = राजा प्रजापतिकी एक स्त्री ५।४९।५४ ६।६९।७५ जयिनी राजगृहके राजा विश्वभूतिकी रानी परिध = एक विद्याधर ६.३२।६८ ४।१३।३४ पारासरी = राजगृह निवासी शाण्डिल्य ब्राह्मणकी जितशत्रु = एक राजा १३।७४।१६५ स्त्री ३।११११३२ ज्योतिःप्रभा = त्रिपृष्ठ और स्वयंप्रभाकी पुत्री पिहितास्रव = एक मुनि २।३४।१७ १०।२९।१२२ पिहितास्रव = राजा प्रजापतिको दीक्षा देनेवाले मुनिज्वलनजटी = विजयाकी दक्षिण श्रेणी रथनपुरका राज १०५७।१२६ राजा ५।१०१।६० पीतवासस् = त्रिपृष्ठ १०१८४।१३७ तिर्यग्विजम्भक सुर = एकप्रकारके देव १७।३६।२३४ पुरुषोत्तम = त्रिपृष्ठ ९।९०।११४ तुरङ्गकण्ठ = अश्वग्रीव ९।८१११३ पुरुरवा = मधुवनमें रहनेवाला एक भील ३।३८।२५ तुरगबाल = अश्वग्रीव ६६६६७४ पुष्पचूला = एक देवी १७।३३।२३४ त्रिपृष्ठ = राजा प्रजापति और मृगावतीका पुत्र पुष्पदन्ता = स्यूणाकारनगरके भारद्वाज ब्राह्मणको स्त्री ( विश्वनन्दीका जीव) ५।६२१५५ ३६८०।२९ त्रिशिरा = एक देवी १७।३३।२३४ पुष्पमित्र = भारद्वाज और पुष्पदन्तका पुत्र ३।८१।२९ त्रिशला = राजा सिद्धार्थकी स्त्री, प्रियकारिणीका प्रजापति = सुरमादेशके पोदनपुरका राजा ५।४५।५३ दूसरा नाम १७।३१।२३३ प्रभावती = हेमद्युतिनगरके राजा धनञ्जयकी स्त्री दिवाकर = एक विद्याधर ६॥३४॥६८ १४।५।१६८ देवानन्द = एक देव १२१७११५३ प्रभास = एक देव १०।४।११८ धनञ्जय = अपर विदेहके कच्छादेशमें स्थित हेमद्यति- प्रियङ्करा = नन्दनकी स्त्री ११६६।१२ पुरका राजा १४।४।१६८ प्रियकारिणी = राजा सिद्धार्थकी पत्नी, भगवान् वर्धधनेश = कुबेर १७।३६।२३४ मानकी माता । १७।२४।२३२ धर्मस्वामी = जम्बूद्वीपके पूर्वविदेह स्थित पुण्डरी- प्रियमित्र = एक मुनि १५।१९६।२१७ किणीनगरका एक सेठ ३३५।२५ प्रियमित्र प्रीतिंकर देवका जीव, धनञ्जय और धारिणी = भरतचक्रवर्तीकी स्त्री ३१६३।२७ प्रभावतीका पुत्र १४।६।१६८ धूमशिख = एक विद्याधर ६।३९।६९ प्रीतिकर = एक देव १३१८४।१६७ धमशिख = एक योद्धा ९।६०।१११ प्रौष्ठिल = एक मुनिराज २०६२।२१ धृति = एक देवी १७।५०।२३६ बला = एक देवी १७१५०।२३६ नन्द = नन्दन और प्रियंकराका पुत्र २।४४।१८ बली = एक विद्याधर ६३८/६९ नन्दन = राजा नन्दिवर्धन और रानी वीरवतीका बाहबली = भगवान् वृषभदेवका पुत्र ५।१०२।६० ११४८१८ भव = रुद्रका नाम १७.१२५।२४८ नन्दिवर्धन = श्वेतातपत्रानगरीके राजा ११३७।६ भरत = भगवान् वृषभनाथका पुत्र, भरतक्षेत्रका प्रथम नवमालिका- एक दिक्कन्यका देवी १७।३२।२३३ चक्रवर्ती . ३१५६।२७ नीलरथ = एक विद्याधर योद्धा ९।७३।११२ भारद्वाज = सालङ्कायन और मन्दिराका पुत्र नीलरथ = एक विद्याधर ६।२७१६८ (अग्निमित्रका जीव ) ३१९७।६०
SR No.022642
Book TitleVardhaman Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Muni, Chunilal V Shah
PublisherChunilal V Shah
Publication Year1931
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy