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________________ श्रीराजेन्द्रगुणमञ्जरी। सुन्दरदासने भी सुन्दर जीर्णोद्धार करवाया था, और गुरुदेवने यहाँपर ढूंढियोंको विवादमें सुबुद्धि व शास्त्रयुक्तिसे निरुत्तरी बनाकर सात सौ घर मूर्तिपूजक बनाये ॥ १९७-१९८ ।। राजगढे रत्नपुर्या, श्रीमाल-शिवगंजाऽऽलीराजपुरे । कूकस्यां राजगडे,-ऽहमदावादे त्वभूदरोन्नतिश्च १९९ आत्मारामेण चर्चाऽभूत् , पत्रैः सार्धमनेकधा । तत्कालीनात्प्रजाबन्धु-दलाद् ज्ञेयाऽत्र सा जनैः २०० __ संवत् १९३४ राजगढ़, १९३५ रतलाम, १९३६ भीनमाल, १९३७ शिवगंज, १९३८ आलीराजपुर, १९३९ कूकसी, १९४० राजगढ़, और १९४१ का चौमासा शहर अमदावादमें हुआ, इसमें आत्मारामजीके साथ पत्र द्वारा बहुत चर्चा हुई, वह उस समयके 'प्रजाबन्धु' नामक पत्रसे जिज्ञासुओंको जानलेना चाहिये, एवं जिनशासनकी उन्नति भी बहुत हुई ।। १९९-२००॥ _____२०-तीर्थस्थापनं कोशनिर्माणारंभश्चराजदुर्गनिवासी यः, संघवीतिपदान्वितः। दल्लातनुज-लूणाख्यो, वृद्धप्राग्वाटवंशजः ॥ २०१॥ साफल्याय स्ववित्तस्य, गुरूणामुपदेशतः । नृणां सिद्धाद्रितीर्थस्य, दिश्ययात्राचिकीर्षया ।।२०२।। ख्यातं मोहनखेडाख्यं, तीर्थस्थापनमातनोत् । पूर्णवेदनवैकाब्दे, सप्तम्यां मार्गशीर्षके ॥ २०३ ॥
SR No.022634
Book TitleRajendra Gun Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabvijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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