SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 497
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४८६) सबलाथी सडुको बीए नबलानेज नडाय ॥ वाघ तणु मागे नही भोग भवानिमाय ॥ २९ ॥ समज समज मन मानवी मरण तणुं भय राख ॥ काल विशे कर कालजी थर्बु बलीने राख ॥ ३० ॥ साधु भूखा भावका धनका भूखा नाही ॥ जो साधू धनका भूखा वोही साधु नाही ॥ ३१ ॥ साधु शब्दमे परखीये विपत पडे घरनार ॥ सूरा तबहीं परखीए जब निकशे तलवार ॥ ३२ ॥ संत पोकारी युं कहे सोधो आप शरीर ॥ पांचे इंद्रिय वस करो तो मले मोक्षमंदिर ॥ ३३॥ सज्जन तजे न सज्जनता दुर्जन तजे न वैर ॥ शाकर न तजे सरसपणुं शोमल तजे न झेर ॥ ३४ ॥ सुधरे नहि कुवाणीथी कीधे बहुत उपाय ॥ शीख भलीपरे आपतां काक न कोयल थाय ॥३५॥ संतोषसम नहि ओर सुख तप नहि क्षमा समान ॥ ज्ञानसमो कोई दान नही धर्म न दयासमान ॥३६॥ सहज मिला सो दूध बराबर मागलीया सो पाणी॥ खेच लीया सो रक्त बराबर संत पुरुषकी वाणी ॥३७॥ सत्य कदी नवि छोडीए सर्व सुखोनो धाम ॥ अमर थयुं सत्ये जुओ हरिश्चंद्रनु नाम ॥ ३८ ॥
SR No.022632
Book TitleNiti Tattvadarsh Yane Vividh Shloak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavichandra Maharaj
PublisherRavji Khetsi
Publication Year1917
Total Pages500
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy