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केशरीकेश भुयंगमणी शरणागत सूराय ॥ सतीपयोधर कृपणधन चढति हत्थ मुआय ॥ १९ ॥ कुलहीणानी चाकरी दुर्जन केरो संग ॥ परनारीनी प्रीतडी जाण घडीनो रंग ॥ २० ॥ कटका काच बीलोरना साकर सम देखाय ॥ भूलें भोजनमा मले जीमतां जीवज जाय ॥ २१ ॥ काक बेठायो पांजरे पढीयो चारे वेद ॥ विवेक वात शीख्यो नही रह्यो ढेढ को ढेढ ॥ २२ ॥ कुलधन बल भलें पामीआ शीख्या शास्त्र विचार ॥ तुलसी प्रभु भक्ति विना चारे वरण चमार ॥ २३॥ कला काव्य श्रुत ज्ञानमां सज्जनना दिन जाय ॥ निद्रा काम किलेशमां मूरख काल गमाय ॥ २४ ॥ कोमल बुद्धि बालको वालो तेम वलाय ॥ . शूका तरुपरे वालतां पछी ते त्रूटी जाय ॥२५॥ कदी घर घोडा हाथीआ रमणी सुंदर गात ॥ एक दिन एवो आवशे भूख्या न मले भात ॥ २६ ॥ कवीजन काव्य करी मरे गुण चाखे गानार ॥ सोनी घाट घडी मरे राय शजे शणगार ॥ २७ ॥