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सांभळवू, अंतरमा स्वच्छ वृत्ति अने बंने भुजामां विजयी पौरुष-अहो ! ऐश्वर्य विना पण महापुरुषोने आ स्वभावथी सिद्ध मंडन छे. १७ । कृत्याकृत्यविभागस्य ज्ञातार स्वयमुत्तमाः। उपदेशे पुनर्मध्या नोपदेशे नराधमाः ॥१८॥ __ भावार्थ-उत्तम जनो कृत्याकृत्यना विभागने पोते जाणे छे, मध्यम जनो उपदेशमां कुशल अने अधम जनो तो उपदेश (कहेवा) मां पण अयोग्य होय छे.१८ कुपात्रे रमते नारी गिरौ वर्षति माधवः। नीचमाश्रयते लक्ष्मीः प्राज्ञः प्रायेण निर्धनः १९ ___ भावार्थ-स्त्री प्राये कुपात्रे रमे छे, वरसाद पर्वतपर वधारे वरसे छे, लक्ष्मी नीचनो आश्रय ले छे अने विद्वान् प्रायः निर्धन होय छे. १९ कुशास्त्रपाठमात्रेण सदा पंडितमानिनः। तत्त्वतो नास्तिकपाया अपात्रमिति शंसिताः २०
भावार्थ-कुशास्त्रना पाठमात्रथी सदा पोताने पंडित माननाराओने नास्तिक कह्या छे अने तत्त्वर्थी तेओने कुपात्र कहेवामां आव्या छे. २०