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विशेषार्थ-ए कुमारविहार चैत्यनी अंदर घारनी वेदिका उपर मयूर पढ़ीओ आवीने नृत्य करे रे. अने मंदिरना मध्य नागे नट लोको नृत्य करे . ते नट लोको, नृत्य जोवाने लोको आवेता होय , पण ते व. खते हारवेदी उपर नाच करता मयूरो के जेमना पृष्ठ नाग उपर विविध जातना मणिोथी चित्र विचित्र एवी कांतिनो समूह पके डे अने तेमना केकाध्वनिना प्रतिध्वनिो थाय , एथी ते प्रेक्षकोनी दृष्टिने खेंचे , ए जोइ नट लोकोने रोष उत्पन्न थाय , कारण के, तेओना नृत्य ने जोनारा माणसोनी दृष्टि मयूरो खेंचे . आ कहेवानो जावार्थ एवो ने के, ते कुमारविहार चैत्यमा विविध जातना मणिो घणां , तेनी हारवेदिका उपर मयूर पढ़ीओ तथा नट लोको आवीने सदा नाट्यारंन करे . २४