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कुमार विहारशतकम् || ॥ ६३ ॥
र्यकांत मणिमांथी उमेला ज्वालाओना तणखा आवे बे, के जे तणखाओ वींजाता चामरना पवनथी चपलताने स्फुरणायमान करे बे. तथापि ते ताखायो श्री पार्श्वनाथ प्रतुना प्रभावथी वारांगनाओनी केशलताने दहन करतां नथी, पण उलटा सूवर्ण पुष्पोना समूहना जेवी शोजाना कन्नापने पोषण करे बे. ६०
विशेषार्थ — कुमार विहार चैत्यनी अंदर वारांगनाओ नृत्य करवा - बे, ते वखते सूर्यकांतमणिमांथी अग्निना तखाओ नीकली तेमना बाट उपर प बे. परंतु देवाधिदेवना प्रभावथी तेमना केश बलीजता नथी, पूण तेनाथी उलटा सूवर्ण पुष्पो तेनी उपर गुंध्या होय, तेवो देखाव थाय बे, या नयर सूर्यकांतम यिनी समृद्धि, वारांगनानी नृत्यपूजा देवाधिदेव श्री पार्श्वनाथ प्रजुनो प्रभाव वर्णव्या बे. ६०