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परिशिष्टः ३ धम्मिल्ल की बत्तीस पत्नियों की विवरणी १. यशोमती : कुशाग्रपुर (राजगृह) नगर के सार्थवाह धनवसु की पत्नी धनदत्ता
की पुत्री (पृ.२७)। २. विमलसेना : चम्पानगरी के राजा जितशत्रु की पुत्री (पृ.५४)। ३. नागदत्ता : चम्पानगरी के ही सार्थवाह नागवसु की पली नागदिन्ना (नागदत्ता) की
पुत्री (पृ.६५)। ४. कपिला : चम्पापुरी के ही राजा कपिल की पुत्री (पृ.६६) । ५. विद्युद्वती : विद्याधरनगर शंखपुर के नरेश पुरुषानन्द की रानी श्यामलता की पुत्री
(पृ.६८)। ६-२१.श्रीचन्दा विचक्षणा, श्रीसेना, श्री, सेना, विजयसेना श्रीसोमा श्रीदेवी, सुमंगला,
सोममित्रा मित्रवती यशोमती (यशोवती), गान्धारी श्रीमती सुमित्रा और मित्रसेना।
ये सभी उपर्युक्त विद्युद्वती की ही बहनें थीं (पृ.६८)। २२. पद्मावती : संवाह नामक अटविकर्बट के राजा सुदत्त की रानी वसुमती की आत्मजा
(पृ.६९)। २३–३०. देवकी, धनश्री कुमुदा कुमुदानन्दा कमलश्री, पद्मश्री, विमला वसुमती। ये सभी . इन्द्रदम सार्थवाह के पुत्र सागरदत्त की पुत्रियाँ थीं (पृ.७०)। ३१. मेघमाला : अशोकपुर के विद्याधरनरेश मेघसेन की रानी शशिप्रभा की पुत्री (पृ.७३)। ३२. वसन्ततिलका : कुशाग्रपुर (राजगृह) नगर की गणिका वसन्तसेना की पुत्री (पृ.२८)।
'धम्मिल्लहिण्डी' 'वसुदेवहिण्डी' की कथावतरण-भूमि है । यायावर वीर योद्धा धम्मिल्ल के अद्भुत चरित्र के उपन्यास द्वारा कथाकार ने मानों वसुदेव जैसे धीर, वीर, ज्ञानी और प्रतापी चरित्र नायक की आत्मकथा से संवलित 'वसुदेवहिण्डी' की कथाभूमि में प्रवेश करने के निमित्त पाठकों के लिए अनुरूप वातावरण और तदनुकूल मनोविज्ञान की सृष्टि की है। इस प्रकार, कथात्मक पृष्ठभूमि के समीकरण की दृष्टि से 'धम्मिल्लहिण्डी' की सार्थक विनियुक्ति के बावजूद इस कथा-प्रकरण का अपना स्वतन्त्र अस्तित्व है।