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वसुदेवहिण्डी : भारतीय जीवन और संस्कृति की बृहत्कथा आकाशगामी यन्त्र (हवाई जहाज) तैयार कर दिया और कोक्कास के साथ राजा उसपर चढ़कर अभीप्सित देश की यात्रा करने लगा (धम्मिल्लहिण्डी : पृ. ६२) । ___ यह आकाशगामी यन्त्र निर्धारित बोझ ही ढो सकता था और उसके संचालन की विशिष्ट प्रविधि थी। राजा की बेवकूफी के कारण, अधिक भार डाल दिये जाने से वह यन्त्र दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कथा है कि एक बार रानी प्रियमति को भी अपने राजा रिपुदमन के साथ आकाशमार्ग से देशान्तर जाने की इच्छा हुई। राजा ने कोक्कास से पूछा, तो उसने कहा कि तीसरे आदमी का अतिरिक्त भार यह आकाशयन्त्र नहीं ढो सकेगा। कोक्कास के बार-बार मना करने पर भी राजा अपनी रानी के साथ विमान पर चढ़ गया। कोक्कास ने राजा से कहा : 'आपको बाद में पछताना होगा। यह जहाज अवश्य गिर पड़ेगा।' यह कहकर कोक्कास ने आकाशयन्त्र के तारों को खींचा
और यन्त्र की कीलों को झटका दिया। विमान आकाश में उड़ चला ('आरूढेण कड्डियाओ तंतीओ, आहया जंतकीलिया गगनगमणकारिया, उप्पइया आकासं'; तत्रैव : पृ. ६३)।'
विमान-रचना में निपुण कोक्कास दुर्घटनाग्रस्त हवाई जहाज की मरम्मत करना भी जानता था। उक्त कथा के क्रम में आगे का प्रसंग है कि राजा और रानी को लेकर उड़नेवाला, कोक्कास द्वारा परिचालित आकाशयन्त्र जब अनेक योजन दूर निकल गया, तभी अधिक भार के दबाव से यन्त्र के तार टूट गये। यन्त्र बिगड़ गया, उसकी कीलें ढीली होकर गिर पड़ीं और यान कोक्कास की परिचालन-कुशलता से धीरे-धीरे धरती पर आकर ठहर गया। अब रानी-सहित वह राजा शिल्पी की बात नहीं मानने के पश्चात्ताप से तपने लगा। तब कोक्कास ने राजा से कहा : 'क्षणभर आप यहाँ ठहरें। मैं तोसलि नगरी जाकर यन्त्र जोड़ने के उपकरण खोजता हूँ।' यह कहकर कोक्कास चला गया और रानी-सहित राजा वहीं उसकी प्रतीक्षा करने लगा।
कोक्कास ने तोसलि नगर के बढ़ई के घर जाकर बसूले की माँग की। बढ़ई समझ गया कि यह शिल्पिपुत्र है। बढ़ई ने कहा कि मुझे अपने राजा का रथ बनाना है, इसलिए बसूला फुरसत में नहीं है। तब कोक्कस ने कहा कि लाओ, मैं ही रथ बना दूँ। बढ़ई ने उसे बसूला दे दिया। बढ़ई जबतक दूसरी और मन लगाये रहा, तबतक क्षणभर में कोक्कास ने रथ के दोनों चक्के जोड़ दिये। बढ़ई विस्मित रह गया और वह कोक्कास के लिए दूसरा बसूला लाकर देने के बहाने अपने राजा काकजंघ के पास चला गया और कोलकास के आने की सूचना उसे दे दी।
राजा काकजंघ ने शिल्पी कोक्कास को पकड़ मँगवाया और उसका बड़ा सम्मान किया। कोक्कास से उसके आने के अभिप्राय को जानकर राजा काकजंघ ने रानी-सहित राजा रिपुदमन को अपने यहाँ बुलवाया और उसे बन्दी बना लिया तथा रानी को अन्त:पुर में रख लिया। फिर, कोक्कास से कहा : 'मेरे कुमारों को यन्त्र-निर्माण की शिक्षा दो।' कोक्कास ने कहा : ‘कुमारों को इस शिक्षा की क्या आवश्यकता है?' किन्तु राजा ने हठ पकड़ लिया और बलात् कोक्कास को, कुमारों को शिक्षा देने के लिए, तैयार होना पड़ा। इसी क्रम में उसने दो आकाशगामी घोटकयन्त्र
१. प्रस्तुत सन्दर्भ में यथोल्लिखित तारों और कीलों के सन्दर्भ की तुलना आधुनिक वैमानिकी या विमान-विज्ञान (एयरोनॉटिक्स) में निर्दिष्ट वायुयान-चालन के नियन्त्रक यान्त्रिक उपकरणों कण्ट्रोल केबुल' तथा घिरनी (पुल्ली) से की जा सकती है। ले.