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वसुदेवहिण्डी : भारतीय जीवन और संस्कृति की बृहत्कथा
१२. वेश्या द्वारा बहकाकर भोले-भाले मुनि का विवाह करा देना ।
१३. स्वर्ग से च्युत होने के समय देवता का द्युतिहीन हो जाना ।
१४. तीर्थंकर की ज्ञान या निर्वाण प्राप्ति के समय चौदहों भुवनों या तीनों लोकों का प्रकाशित होना ।
१५. भिक्षु के लिए दान करते समय दाता गृहस्थ के घर में पंचदिव्य की उत्पत्तिं
१६. रूप - परिवर्तन ।
१७. लिंग परिवर्तन |
१८. परकाय- प्रवेश ।
१९. मुनि का शाप ।
२०.
. देव द्वारा व्रतनिष्ठ तपस्वियों की परीक्षा ।
२१. अनाहार से शरीर त्याग अथवा आत्महत्या की विफल चेष्टा ।
२२. समाधि द्वारा मृत्यु का वरण ।
२३. रानी के दोहद (गर्भकाल की इच्छा) की पूर्ति के लिए राजा द्वारा असाध्य-साधन का संकल्प और उसका कार्यान्वयन ।
२४. वेश्या के फन्दे में पड़े हुए पुत्र के लिए माता-पिता का शोक ।
२५. नायक या नायिका द्वारा आत्महत्या का प्रयास और आकाशवाणी या मुनि के आदेश से उस प्रयास से विरत होना ।
२६. मित्र की कृतघ्नता ।
२७. समधिनों का झगड़ा ।
२८. सास की बात न मानने से पतोहू का दुर्गंजन ।
२९. सास द्वारा पतोहू का अपमान ।
करके शत्रु से या मत हाथी के आक्रमण से सुन्दरी स्त्री का उद्धार ।
३०. युद्ध
३१. पुरुषद्वेषी नायिका को नायक द्वारा अनुकूलित करना ।
३२. विद्याधरियों द्वारा नायक का अपहरण ।
३३. विद्याधरों द्वारा नायिका का अपहरण अथवा पति का मिथ्या शव दिखलाकर स्त्री को
वश में करना ।
। ३४. नायक के साथ प्रतिनायक या खलनायक की शत्रुता या वैर ।
३५. नायक द्वारा नायिका की सतीत्व परीक्षा ।
३६. भारुण्ड, गरुड आदि के द्वारा नायक का स्थानान्तरण ।
३७. नायिका की खोज में नायक का अपार कष्ट झेलना एवं अलभ्य लाभ ।