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________________ ११८ वसुदेवहिण्डी : भारतीय जीवन और संस्कृति की बृहत्कथा १२. वेश्या द्वारा बहकाकर भोले-भाले मुनि का विवाह करा देना । १३. स्वर्ग से च्युत होने के समय देवता का द्युतिहीन हो जाना । १४. तीर्थंकर की ज्ञान या निर्वाण प्राप्ति के समय चौदहों भुवनों या तीनों लोकों का प्रकाशित होना । १५. भिक्षु के लिए दान करते समय दाता गृहस्थ के घर में पंचदिव्य की उत्पत्तिं १६. रूप - परिवर्तन । १७. लिंग परिवर्तन | १८. परकाय- प्रवेश । १९. मुनि का शाप । २०. . देव द्वारा व्रतनिष्ठ तपस्वियों की परीक्षा । २१. अनाहार से शरीर त्याग अथवा आत्महत्या की विफल चेष्टा । २२. समाधि द्वारा मृत्यु का वरण । २३. रानी के दोहद (गर्भकाल की इच्छा) की पूर्ति के लिए राजा द्वारा असाध्य-साधन का संकल्प और उसका कार्यान्वयन । २४. वेश्या के फन्दे में पड़े हुए पुत्र के लिए माता-पिता का शोक । २५. नायक या नायिका द्वारा आत्महत्या का प्रयास और आकाशवाणी या मुनि के आदेश से उस प्रयास से विरत होना । २६. मित्र की कृतघ्नता । २७. समधिनों का झगड़ा । २८. सास की बात न मानने से पतोहू का दुर्गंजन । २९. सास द्वारा पतोहू का अपमान । करके शत्रु से या मत हाथी के आक्रमण से सुन्दरी स्त्री का उद्धार । ३०. युद्ध ३१. पुरुषद्वेषी नायिका को नायक द्वारा अनुकूलित करना । ३२. विद्याधरियों द्वारा नायक का अपहरण । ३३. विद्याधरों द्वारा नायिका का अपहरण अथवा पति का मिथ्या शव दिखलाकर स्त्री को वश में करना । । ३४. नायक के साथ प्रतिनायक या खलनायक की शत्रुता या वैर । ३५. नायक द्वारा नायिका की सतीत्व परीक्षा । ३६. भारुण्ड, गरुड आदि के द्वारा नायक का स्थानान्तरण । ३७. नायिका की खोज में नायक का अपार कष्ट झेलना एवं अलभ्य लाभ ।
SR No.022622
Book TitleVasudevhindi Bharatiya Jivan Aur Sanskruti Ki Bruhat Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeranjan Suridevi
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1993
Total Pages654
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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