SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वसुदेवहिण्डी की पौराणिक कथाएं ९५ एक बार अपने बहनोई के पुत्र (भगिने) से भी अपमानित होना पड़ा। बाद में शाम्ब ने भी एक गणिकापुत्री सुहिरण्या से विवाह किया। ज्ञातव्य है कि रुक्मी ने प्रतिज्ञा की थी कि वह अपनी पुत्री वैदर्भी को चाण्डाल के हाथ भले ही सौंप देगा, किन्तु प्रद्युम्न के साथ उसका विवाह नहीं करेगा। प्रद्युम्न ने चाण्डालवेश धारण करके रुक्मी को भरमाया और वैदर्भी को अधिगत कर लिया। ___ सत्यभामा से जो पुत्र उत्पन्न हुआ, उसका नाम सुभानु (भानु) रखा गया। प्रद्युम्न और शाम्ब मिलकर भानु को बराबर परेशान करते रहते थे। भानु को वे विभिन्न प्रतियोगिताओं (जैसे : द्यूत-प्रतियोगिता, आभूषण-प्रतियोगिता, गन्ध-प्रतियोगिता आदि) में बराबर पराजित करते रहे, उससे करोड़ों की बाजी जीतते रहे। एक बार आभूषण-प्रतियोगिता में भानु की पराजय की बात सुनकर रोती हुई सत्यभामा ने कृष्ण को उलाहना दिया कि शाम्ब आपके दुलार के कारण मेरे बेटे भानु को जीने नहीं देगा। इस बात से कृष्ण भी उत्तेजित हुए और स्वयं शाम्ब के पास जाकर उन्होंने उसकी उद्दण्डता के लिए उसे बहुत तरह से समझाया और डाँटा भी। फिर भी, शाम्ब ने चार करोड़ लेने के बाद ही भानु को छोड़ा। शाम्ब इतना अधिक उद्दण्ड हो गया था कि उसने अपने पिता कृष्ण को भी परेशान कर दिया। एक दिन नक्षत्रमाला से विभूषित केशव की रूपश्री धारण करके शाम्बकुमार सत्यभामा के महल में गया। चकित सत्यभामा ने अंगुलि के संकेत से कुब्जा को बुलाया। वेश, बोली, रंग, रूप, सबमें शाम्ब की कृष्ण से बहुत अधिक समानता थी, इसलिए भ्रम में पड़ी कुब्जा भी कुछ निर्णय नहीं कर पाई। शाम्ब ने कुब्जा से कहा : “मैंने दुष्ट स्वप्न देखा है, उसका प्रतिघात अपेक्षित है। इसलिए, देवी से कहो कि 'मैं चाहे कितना भी अधिक मना करूँ, फिर भी वह मुझे पंचगव्य से स्नान करवा देगी।" यह कहकर शाम्ब चला गया। इसी बीच कृष्ण वहाँ आये । दासी ने शाम्ब के बदले, आकृतिसाम्य से उत्पन्न भ्रम के कारण, कृष्ण को ही पंचगव्य से नहलाना शुरू किया। कृष्ण झल्लाये : “यह क्या कर रही हो? भागो।" इसके बाद उन्हें मंगलकलश से स्नान कराया गया। परिजनों के समक्ष ही कृष्ण ने सत्यभामा से कहा : “मैंने तुम्हे सभी रानियों में ज्येष्ठा (अतिशय प्रिया) का पद दिया। क्या तुम अपने इस ऐश्वर्य को उलटना चाहती हो, जो मेरे साथ खिलवाड़ करती हो?" सत्यभामा बोली : “मुझे क्यों उलाहना देते हैं। मैंने तो आपकी ही आज्ञा का पालन किया है।" इसपर कृष्ण बोले : “मैंने कब कहा? तुम झूठ बोलती हो।" जब सत्यभामा ने सारी स्थिति बताई, तब कृष्ण ने हँसकर कहा : “शाम्ब होगा ! कल मैंने उसे डाँटा था न?" यह सुनकर सत्यभामा रूठ गई और बोली : “मैं तो अपने बेटों का खिलौना हो गई हूँ। अब मेरा जीना व्यर्थ है।" यह कहकर वह आत्मघात के लिए अपनी जीभ खींचने लगी। कृष्ण ने बड़ी कठिनाई से उसे रोका और कहा : “कल मैं उस अविनीत को दण्ड दूंगा, तुम विश्वास करो।" ___जाम्बवती को बुलवाकर कृष्ण ने उससे कहा : “तुम्हारे पुत्र ने मेरा भी तिरस्कार किया है।" “आप तो अपने पुत्र का चरित्र जानते हैं।” जाम्बवती बोली । “तुम भी जानोगी।” कृष्ण बोले। दूसरे दिन ग्वाला-ग्वालिन के वेश में कृष्ण-जाम्बवती को शाम्ब ने देखा । रूपवती ग्वालिन से
SR No.022622
Book TitleVasudevhindi Bharatiya Jivan Aur Sanskruti Ki Bruhat Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeranjan Suridevi
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1993
Total Pages654
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy