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द्विसन्धान-महाकाव्य का सांस्कृतिक परिशीलन
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११. दण्डनायक
दण्डनायक को 'न्यायाधीश' या 'दण्डाधिकारी' माना गया है। यह अनेक प्रमाणों द्वारा विवादों की परीक्षा कर राजा को अनके परिणामों से अवगत कराता था। द्विसन्धान में एक स्थान पर न्यायाधीश शब्द का उल्लेख भी आया है। १२. दुर्गाध्यक्ष
यह दुर्ग की अन्तरंग-व्यवस्था की देखरेख करता था। नेमिचन्द्र ने अपनी टीका में इसका उल्लेख किया है। १३. कर्माध्यक्ष
शासन-व्यवस्था के अन्तर्गत पद-कौमुदी टीका में इस पद का उल्लेख भी पृथक् से किया गया है। • १४. सार्थवाह
व्यापारियों को सार्थवाह कहा गया है। ये भी राजकार्य से सम्बद्ध थे। प्रशासनिक दृष्टि से ये भी कम महत्वपूर्ण नहीं थे।
द्विसन्धान-महाकाव्य में उपर्युक्त प्रशासनिक पदों के अतिरिक्त अन्य शासन तथा अन्त:पुर से सम्बद्ध कर्मचारियों का उल्लेख भी आया है१. गुप्तचर
राजा के राजनैतिक पक्ष की दृष्टि से द्विसन्धान में गुप्तचर की कार्यविधि का महत्वपूर्ण अंकन किया गया है। गुप्तचरों के माध्यम से ही अपराधियों की गतिविधियों तथा प्रजा की वास्तविक स्थिति का ज्ञान प्राप्त कर राजा शासन-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाता था । द्विसन्धान के अनुसार कृषि के क्षेत्र में कृषक को, बाह्य प्रदेशों में ग्वालों को, जंगलों में भीलों को, शहरों में व्यापारियों को,सीमाओं पर कौलादि साधुओं को तथा राजाओं, राजपुत्रों, कुटुम्बियों तथा मन्त्रियों में उनके कर्मचारियों को गुप्तचर बनाया जाना चाहिए । इसी प्रकार अन्त: पुर में बधिरों, १. द्विस,३.२५ २. वही,,२.२२ पर पद-कौमुदी टीका ३. वही ४. वही,१.१८