________________
मन्दिरनो उद्धार थयो छे. देरीओना मूल नायकजी ऊपर पण बीजा बीजा सद्गृहस्थो तरफथी प्रतिष्ठा थयानो शिलालेख मली आवे छे. श्री पार्श्वनाथ भानुं मन्दिर -
श्री आदिनाथ भ.ना मन्दिरथी थोडे दूर पश्चिममां जमणी बाजु श्री पार्श्वनाथ भानुं सुन्दर मन्दिर छे. मूल गभारामां परिकर - वाली श्री पार्श्वनाथ भ.नी अद्भुत प्रतिमा आशरे २॥ फीट ऊंची विराजमान छे. मन्दिरनी चारे तरफनी भींत ऊपर युगलीयांओनी नग्न पूतलीओ जोवामां आवे छे. तेथी युगलिक पुरुषोनी स्वाभाविक अवस्थानुं दृश्य होय तेम लागे छे. केटलांक विद्वानो आने कामशास्त्रीय चोरासी आसनो कोतर्यां छे एम कहे छे. त्यारे केटलांक श्री स्थूलभद्रजी म. कोशानी चित्रशालामां चोमासु रह्यां ते समये कोशाए करेल हावभावादिनुं दृश्य होवानुं जणावे छे तेमज केटलांक श्री नेमिनाथ भ.नी जानना वरघोडानुं दृश्य बतावे छे. अने केटलांक सुन्दर कलामय दृश्य ऊपर दोषना परिहार माटे आवुं रूप आलेखाय छे एवं पण माने छे. जेम राजाओनी अश्वशालामां सारा अश्वो ऊपर दृष्टिदोषना परिहार माटे आगलना भागमां घेटो बांधवामां आवतो हतो. आ मन्दिर सोमल पोरवाड नामना धरणाशाना मुनीमे बंधाव्युं होवानुं जाणवा मले छे. आ मन्दिरनी कोरणी मूल मन्दिरना जेवी ज छे. श्री नेमिनाथ भ. नुं मन्दिर
धरणविहारनी बराबर सामे पश्चिममां थोडे दूर श्री नेमिनाथ भ.नुं मन्दिर आवेलुं छे. मूल गभारामां श्री नेमिनाथ भ.नी श्यामवर्णी प्रतिमा खूबज आह्लादक छे. मन्दिर शिखरबंधी छे. शिल्पकलानी दृष्टिए सादु होवा छतां मनोहर छे. आने 'सलोंटाका मन्दिर' केटलांक कहे छे. एटले के राणकपुरमां काम करता सलाटोए आ मन्दिर पोताना खर्चे बांध्युं छे. कोटनी बहार दक्षिण दिशामां प्राचीन श्री सूर्यमन्दिर छे. नदीना किनारा ऊपर भातभातनी कोरणीथी सुशोभित आ मन्दिर हालमां जीर्ण छे. कहेवाय छे के आ मन्दिर महाराणा कुंभाए बंधाव्युं हतुं.
श्रीकीर्तिकल्लोलकाव्यम्
163