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नामोथी पण संबोधाय छे. मन्दिरनी प्रथमभूमिका जमीनना समतलथी ४०, ४५ फीट ऊँची छे. मन्दिरमां प्रवेश करतां पहेलां वीश पचीश पगथीयां चड्या पछी एक चोकी आवे छे, तेनी छतमां एकज मस्तकमां जोडायेली पांच पूतलीओ कोतरेली छे. तेनां अंगमरोड अने शिल्पलावण्य भलभलाने आश्चर्यमग्न बनावी दे छे. अहिं आजुबाजु बीजां पण अनेक भावो कोतरेलां छे. तेमज छतमां स्वस्तिक, नंद्यावर्त अने यंत्र वगेरे पण कोतर्यां छे. त्यांथी आगल चालतां प्रवेशद्वारमां गया पछी बंन्ने बाजु भोंयरामां बिराजमान नानी मोटी प्रभु मूर्तिओनां दर्शन थाय छे. त्यांथी आगल ऊपरनी छतमां रहेलां कल्पवृक्षना पत्रनी अतिनाजुक बेनमून कोरणी, स्तंभोनुं शिल्पलालित्य, एकज पत्थरम आरपार कोतरी अद्धर गोठवेलां तोरणो वगेरे जोईने मन अमन्दआनन्दसागरमां तणावा मांडे छे. आ मन्दिरने चारे बाजु प्रवेशद्वार छे. तेमां पश्चिम तरफनुं द्वार मुख्य गणाय छे. आखुं मन्दिर सेवाडी अने सोनाणानी खानना आरसपाणथी बनाववामां आव्युं छे.
मन्दिरमां फरती ८० देवकुलिकाओ छे. जेमां ७६ देरीओ नानी तेमज शिखरबंधी छे. बधी एकसरखी छे. अने चार मोटी देरीओ छे. वली चोकमां चारे दिशामां एक एक महाधर प्रासाद छे. जेना नाम 'कर्माप्रथम महाधर चैत्य' 'कर्णाप्रथममहाधर चैत्य' 'स्तंभनकावतार चैत्य' अने 'अरिघातचतुर्थ महाधर चैत्य' आ प्रमाणे उपलब्ध थाय छे. आ रीते अहिं ८४ देरीओ छे. देरीओमां भूत, भविष्य अने वर्तमान त्रणे चोवीशीना प्रतिमाजी भगवंत बिराजमान छे. पहेली देरीमां श्री सोमसुन्दरसूरि म.नी पीला पाषाणनी मूर्ति मूलनायक भगवाननी बाजुना गोखलामां बिराजमान छे. मूल गभाराना जलवटमां पण ओनी एक मूर्ति बिराजमान छे.
मूलमन्दिरमां श्री ऋषभदेव भगवाननी लगभग सवाचार फीट ऊँची एटले के परिकर साथे आशरे आठ फीट ऊँची चार मनोहर मूर्तिओ बिराजमान छे. पूर्व पश्चिम अने दक्षिण दिशाना मूलनायकजीनी मूर्ति ऊपर सं. १४९८नो लेख छे. केवल उत्तर दिशानी मूर्ति ऊपर सं. १६७९नो लेख छे. तेमां राणा कर्णसिंहना राज्यमां श्री देवसूरिजी महाराजना उपदेशथी प्रतिष्ठा थयांनो उल्लेख
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