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दसवे आलियसुतं
अज्झयण ४
जया जीवमजीवे य दो वि एए वियाणइ । तया गई बहुविहं सवजीवाण जाणइ ॥१७॥ जया गइं बहुविहं सव्वजीवाण जाणइ । तया पुराणां च पावं च बन्धं मोक्ख च जाणइ ॥१५॥ जया पुराणं च पावं च बन्धं मोक्ख च जाणइ । तया निम्विन्दए भोए जे दिव्वे जे य माणुसे ॥१६।। जया निविदए भोए जे दिव्वे जे य माणुसे । तया चयइ संजोगं सभितरवाहिरं ॥ १७ ॥ जया चयइ संजोगं सब्भितरबाहिरं । तया मुण्डे भवित्ताणं पव्ययइ अरणगारियं ॥ १८ ॥ जया मुण्डे भवित्ताणं पव्वयइ अणगारिय। . तया संवरमुन्टुिं धम्म फासे अणुत्तरं ॥ १६ ॥ . जया संघरमुकिट्ट धम्मं फासे अणुत्तरं । तया धुणइ कम्मरय प्रबोहिकलुसं कड।॥ २०॥ जया धुणइ कम्मरयं अवोहिकलुसं कंड। तया सव्वत्तगं नाणं दसणं चाभिगच्छइ ।। २१ ॥ जया सव्वत्तगं नाणं दंसणं चाभिगच्छद । तया लोगमलोगं च जिणा जाणइ केवली ॥ २२॥ जया लोगमलोग च जिणा जाणइ केवली। तया जोगे निलंभित्ता सेलेसिं पडिवजइ ॥ २३ ॥ जया जोगे निलंभित्ता सेलेसिं पडिवजइ । तया कम्म खवित्ता सिद्धि गच्छइ नीरओ ॥ २४ ॥ अया कम्न खवित्ता सिद्धिं गच्छइ नीरओ। तया लोगमत्थयत्थो सिद्धो हवइ सासश्रो ॥ २५ ॥ सुहसायगस्स समणस्स सायाउलगस्स निगामसाइस्स । उच्छोलणापहोअस्स दुलहा सुगइ तारिसगस्स ॥ २६ ॥