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५४] उज्झियए
२५ उज्झियए दारए पुरापोराणाणं कम्माणं जाव पच्चणुभवमाणे विहरह" ॥५३॥ .. " उज्झियए णं, भन्ते, दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ, कहिं उववजिहिइ ?” “गोयमा, उज्झियए दारए पणवीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अजेव तिभागावसेसे दिवसे सूलीभिन्ने कए समाणे कालमासे कालं किश्चा इमासे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ताए उववजिहिइ । से णं तओ अणन्तरं उव्वट्टित्ता इहेव जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयडगिरिपायमूले वाणरकुलंसि वाणरत्ताए उववजिहिइ । से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तिरियभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अझोववन्ने जाए जाए वाणरपेलए वहेइ। तं एयकम्मे...कालमासे कालं किच्चा इहेव जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे इन्दपुरे नयरे गणियाकुलंसि पुत्तत्ताए पञ्चायाहिइ । तए णं तं दारयं अम्मापियरो जायमेत्तकं वर्तहिन्ति, नपुं. सगकम्मं सिक्खावेहिन्ति । तए णं तस्स दारयस्स अम्मापियरो निव्वत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं नामधेजं करेन्ति, तं जहा-'होउ णं अम्हं इमे दारए पियसेणे नामं नपुंसए'। तए णं से पियसेणे नपुंसए उम्मुक्कबालभावे जोव्वणगमणुप्पत्ते विनयपरिणयमेत्ते रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उकिटे उक्किट्ठसरीरे भविस्सइ । तए णं से पियसेणे नपुंसए इन्दपुरे नयरे बहवे राईसर' जाव °पभिईओ बहूहि य विजापयोगेहि य मन्तचुण्णेहि य हियउडावणाहि य निण्हवणेहि य पण्हवणेहि य वसीकरणेहि य आभियोगिएहि य अभियोगित्ता उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुञ्जमाणे विहरिस्सइ ॥ ५४॥