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________________ तन्दुलगैचारिकप्रकीर्णकम् [ ८९ हहस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुच्चह ॥५८॥ सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे । लवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुहुत्ते वियाहिए ॥ ५९॥ एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया ऊसासा वियाहिया ?, गोयमा ! तिन्नि सहस्सा सत्त य सयाण तेवत्तरिं च ऊसासा । एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहिं अणंतनाणीहिं ॥६०॥ दो नालिया. मुहुत्तो सहि पुण नालिया अहोरत्तो। पन्नरस अहोरत्ता पक्खो पक्खा दुवे मासो ॥ ६१ ॥ दाडिमपुप्फागारा लोहमई नालिया उ कायव्वा । तीसे तलंमि छिदं छिद्दपमाणं पुणो वुच्छं ॥१२॥ छन्नउईपुच्छवाला तिवासजायाऍ गोतिहाणीए । असंवलिया उज्जा य नायव्वं नालियाछिदं ॥ १३ ॥ अहवा उ पुच्छवाला दुवासजायाऍ गयकरेणूए । दो वाला अन्भग्गा नायव्वं नालियाछिदं ॥ ६४ ॥ अहवा सुवन्नमासा चत्तारि सुवटिया घणा सूई । चउरंगुलप्पमाणा नायव्वं नालियाच्छिदं ॥६५॥ उदगस्स नालियाए हवंति दो आढयाउ परिमाणं । उदगं च भाणियव्वं जारिसयं तं पुणो वुच्छं॥६६॥
SR No.022607
Book TitleTandul Vaicharik Prakirnakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayjinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1986
Total Pages166
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_tandulvaicharik
File Size10 MB
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