SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२] [ जीवन - श्रेयस्कर - पाठमाला लामंत जीविय पच्छा परिन्नाय छंदनिगोहेण उवेइ वूह इत्ता, मलावधंसी ॥७॥ मोक्खं, आसे जहा सिक्खियवम्मधारी । पुव्वाइं वासाई चरण्पमत्ते, तम्हा मुगी खिप्पमुवेइ मुखं ॥ ८ ॥ स पुत्रमेवं न लभेज पच्छा, एसोवमा सासयवाइयाणं । विसीयई सिढिले श्राउयम्मि, कालोवणीए सरीरस्स भए ॥ ॥ विप्पं न स विवेगमेडं, तम्हा समुट्ठाय पहाय कामे । समिच्च लोयं समया महेसी, errerrat चरऽप्पमत्ते ||१०|| मुहुं हुं मोहगुणे जयंतं, अगरूवा समां फासा फुसन्ति असमंजसं च, चरंत | न तेस भिक्लू मसा पउस्से ||११|| मन्दाय फासा बहुलोहणिजा, तहप्पग| रेसु मणं न कुजा । रक्खज्ज कोहं विणएज्ज माणं, मायं न सेवेज पहेज्ज लोहं ५१२ || जे संजया तुच्छ परप्पवाई, ते पिज्जदोसा गया परज्झा | एए हम्मे ति दुगुंछमाणो, *खे गुणे जाव सरीरभेउ || १३|| ति प्रेमि ।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy