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________________ ३०] [ जीवन - श्रेयस्कार- पाठमाला माणुसत्तमि आयाओ, जो धम्मं सोच्च सद्दहे । तवस्सी वीरियं लधुं, संबुडे निद्धुणे रयं ॥ ११ ॥ सोही उज्जुयभूयम्स, धम्मो सुद्धस्स चिट्ठइ । निव्वाणं परमं जाइ, घयसित्तिव्व पावए ||१२|| fafia कम्मुणो हेउ, जसं संचिणु खंतिए । सरीरं पाढवं हिच्चा, उड्ढं पक्कमए दिसं ॥ १३ ॥ विसालसेहिं सीलेहिं, जक्खा उत्तरंउत्तरा । महासुका व दिप्ता, मन्नंता अपुच्चयं ॥ १४ ॥ " पिया देवकामागं, कामरूवविउविणो । उड़ढं कप्पे चिठ्ठेति, पुव्वावाससया बहु ॥१५॥ तत्थ ठिच्चा जहाठाणं, जक्खा उक्खये चुया । उति माणुस जोणिं, से दसंगे भिजायए ॥ १६ ॥ वित्तं वत्युं हिरराणं च पलवो दासपोरुसं । चत्तारि कामखंधाणि तत्थ से उववज्जइ ॥ १७॥ मित्तवं नाइवं होइ, उच्चागोए य वण्णवं । अपायके महापन्ने, अभिजाए जसो बल्ले ॥१८॥ भुच्चा माणुस्सए भोर, अप्पाडरूवे अहाउयं । पुव्वं विसुद्धसद्धम्मे, केवलं बोहि बुझिया ॥ १९ ॥ चउरंग दुल्लहं 'नच्चा, संजमं पडिवजिया । तवसा घुयकम्मंसे, सिद्धे हवइ सासए ॥ २०॥ न्ति बेमि | तइ चाउरंगिज्जं अज्यां समत्तं ॥ ॥ चत्थं असंखयं प्रभयणं ॥ असंखयं जीविय मा पमायए, जरोवणीयस्स हु नत्थि ताणं । १. मच्चा ।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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