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________________ २४] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला मणोगयं वक्तगयं, जाणित्तायरियस्स उ । तं परिगिज्झ पायाए, कम्मुणा उववायए ॥४३॥ वित्ते अचोइए निञ्च, 'खिप्पं हवइ सुचोइए। जहोवइटुं सुकाय, किच्चाई कुबई सया ॥४४॥ नचा नमइ मेहावी, लोए कित्ती से जायए। हवई किच्चाणं सरणं, भूयाणं जगई जहा ॥१५॥ पुज्जा जस्स पसीयंति, संबुद्धा पुव्वसंथुया। पसन्ना लाभहस्संति, विउल अट्टियं सुयं ॥४६॥ स पुज्जसत्थे सुविणीयसंसए, 'मोरूई चिटई कम्मसंपया । तवोसमायारिसमाहिसंवुडे, . महज्जुई पंच वयाइं पालिया ॥४७॥ स देवगंधव्वमणुस्सपूइए, चइत्तु देहं मलपंकपुव्वयं । सिद्ध वा हवइ सासए, देवे वा अप्परए महिड्ढीए ॥४८॥ त्ति बेमि ॥ विणयसुयं नाम पढमं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥अह दुइ परिसहज्झयणं ॥ सुयं मे पाउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु बावीसं परीसहा लमणे भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया । जे भिक्खू तोचा नच्चा जिचा अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्ययंतो पुट्ठोलो विनिहन्नेजा। कयरे ते सा बावीसं परीसहा समणेणं भगवया महा१. पसन्ने थाम करे। २. मणिच्छियं संपयमुत्तमं गया।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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