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________________ ५८ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला चूलिया २ तम्हा आयारपरक्कमेण संवरसमाहिबहुलेणं। चरिया गुणा य नियमा य होति साहूण दट्टव्वा ॥४॥ अणिएयवासो समुयाणचरिया __ अन्नायउंछं पइरिक्कया य । अप्पोवही कलह विवज्जणा य विहारचरिया इसिणं पसत्था ॥ ५ ॥ आइएणोमाणविवज्जणा य ओसन्नदिट्टाहडभत्तपाणे । संसट्टकप्पेण चरेज्ज भिक्खू तज्जायसंसट्ठ जई जएज्जा ॥ ६॥ अमज्जमंसासि अमच्छरीया अभिक्खणं निविगइं गया य । अभिक्खणं काउस्सग्गकारी सज्झायजोगे पयओ हवेज्जा ॥ ७ ॥ न पडिन्नवेज्जा सयणासणाई सेज्जं निसेज्ज तह भत्ता । गामे कुले वा नगरे व देसे ___ ममत्तभावं न कहिंचि कुज्जा ।। ८ ।। गिहिणो वेयावडियं न कुजा __ अभिवायणं वंदण पूयणं वा । असंकिलिटेहिं समं वसेजा मुणी चरित्तस्स जो न हाणी ॥६॥ न या लमज्जा निउणं सहायं गुणाहियं वा गुणओ समं वा । एक्को वि पावाइं विवजयंतो विहरेज्ज कामेसु असज्जमाणो ॥१०॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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