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________________ ५६ जीवन-श्रेयस्कर - पाठमाला जया य मासिमो होइ पच्छा होइ प्रमाणिमो । सेट्ठिव्व कब्बले बूडो स पच्छा परितप्पइ ॥ ५॥ जया य थेर श्री होइ समइकंतजोव्वणा । मच्छोन्वगतं गिलित्ता स पच्छा परितप्पइ ॥ ६ ॥ जया य कुकुडंबस्स कुतत्तीहिं विहम्मइ । हत्थी व बंधणे बद्धो स पच्छा परितप्पइ ॥ ७ ॥ पुतदारपरिगो मोहसंताण संतओ । पंकोनो जहा नागो स पच्छा परितप्पइ ॥ ८ ॥ अज याहं गणी होतो भावियप्पा बहुस्सुओ । जesहं रमतो परियाए सामराणे जिणदेसिए ॥ ९ ॥ देवलोग समाज परियाश्रो महेसिणं । रयागं अरयाणं च महानरयसारिलो ॥ १० ॥ अमरोवमं जाणिय सोक्खमुत्तमं रयार परियार तहारयाणं । निरयोवः जाणिय दुक्खमुत्तमं रमेज तम्हा परियाए पंडिए ॥ ११ ॥ धम्माउ भट्ट सिरिश्रो अवेयं जन्नविज्झायमिवप्यतेयं । हीलाते रा दुव्विहियं कुसीला दादुयं घोरविसं व नागं ॥ १२ ॥ resent असो अकित्ती दुन्नानधेजं च पिहुज सम्मि । हम्म सेविण चूलिया १ चुस्त धम्मा संभावितस् य हे गई ॥ १३ ॥ भुंजित भोगाई पसज्झ चेयसा तहावि कट्टु असंजम बहुं ।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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