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जीवन - श्रेयस्कर - पाठमाला
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'असंथा इमे अंबा बहुनिव्वडिमा फला । वएज बहुसंभूया भूयरूवत्ति वा पुणे | ॥ तवसही पक्काओ नीलिया छवी इ य । लाइमा भजिमाओ त्ति पिहुखज्जन्ति नो वए ॥ ३४ ॥ रूढा बहुसंभूया थिरा ऊसढा विय । गब्भिया पसूयाओ ससाराओ त्ति आालवे ॥ ३५ ॥ तव संखडि नचा किच्चे कज्जं ति नो वए । तेगं वा विवज् त्ति सुतित्थे त्ति य आवगा || ३६ || ias संखड बूया परियत्ति ते गं । बहुसमाणि तित्याणि श्रवगारां वियागरे || ३७ ॥ तहान पुराणाओ कायतिज्जन्ति नो वए ।
नावाहि तारिमाओ त्ति पाणिपेज्जन्ति नो वए ॥ ३८ ॥ बहुवाहडा अगाहा बहुसलिलुप्पिलोदगा । बहुवित्थडेोदगा या वि एवं भासेज्ज पन्नवं ॥ ३६ ॥ तहेव सावज्जं जोगं परस्सट्टाए निट्ठियं । कीरमा ति वा नच्चा सावज्जं नालवे मुखी ॥ ४० ॥ सुकडे त्ति सुपके त्ति सुच्छिन्ने सुहडे मडे । सुनिट्ठिए सुलट्ठे ति सावज्जं वज्जए मुणी ॥ ४१ ॥ पयत्तपक्कति व पक्कमालवे
पयत्त छिन्नत्ति व छिन्नमालवे ।
पयत्तलट्ठत्ति व कैम्महेउयं
पहारगाढत्ति व गाढमालवे ॥ ४२ ॥
अझयण ७
सवुक्कसं परग्धं वा उलं नत्थि परिसं । अचकित्वं अत्रियत्तं चैव नो वए ॥ ४३ ॥
१. संघडा २ - निव्वहिमा |