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________________ ३० जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला अज्झयण ६ गंभीरविजया एए पाणा दुष्पडिलेहगा। आसंदीपलियंको य एयमट्ट विवज्जिया ॥५६॥ गोयरग्गपविट्ठस्स निसेज्जा जस्स कप्पइ । इमेरिसमणायारं आवजइ अबोहियं ।। ५७ ॥ धिवत्ती बैभचैरस्स पाणाणं च वहे वहो। वणीमगपडिग्घाओ पडिकोहो अगारिणं ।। ५८ ।। अगुत्ती बंभचेरस्स इत्थीओ वावि संकणं । कुसीलघड्ढणं ठाणं दूरओ परिवजए ॥ ५६ ॥ तिसहमन्नयरागस्स निसेजा जस्स कप्पर । जराए अभिभूयस्स वाहियस्स तवस्सिणे ॥ ६० ॥ पाहिओ वा अरोगी वा सिणाणं जो उ पत्थए । वुकंतो होइ आयारी, जढो हवइ संजमा ॥ ६१॥ संतिमे सुहमा पाणा घसासु भिलुगासु य । जे उ भिक्खू सिणायंतो वियडेणुप्पलावए । ६२ ॥ तम्हा ते न सिणायंति सीएण उसिणेण वा। जावज्जीवं वयं घोरं असिणाणमहिटुगा ।। ६३ ।। सिणाणं अदुवा कक्कं लोद्धं पउमगाणि य । गायस्सुव्वट्टणट्टाए नायरंति कयाइ वि ॥ ६४॥ नगिणस्स बा वि मुंइंस्स दीहरोमनहसिया। मेहुणा उवसंतस्स किं विभूसाए कारियं ॥ ६५ ॥ विभूसावत्तिय भिक्खू कम्म बंधइ चिक्कणं । संसारसायरे घोरे जैणं पडइ दुरुत्तरे ॥ ६६ ।। विभूसावत्तियं चेय बुद्धा मन्नति तारिसं । सावजबहुल चेय नेय ताईहिं सेवियं ॥ ६७ ॥ खवेति अप्पाणममोहदसिण। तवे रया संजमअजवे गुणे ।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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