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________________ २३६] [ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला पयग्गे, संखेजा अक्खरा, अशांता गया, अशंता पजा, परित्ता तसा, अशंता थावरा, सासयकडनिबद्ध निकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविजत्ति, पन्नविजंति, परूविजंति, दसिजंति, निदंसिजंति, उवदंसिजंति । से एवं पाया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरण, करमपरूवर आघविजइ; से तं उवासगदसायो ७ ।। सू० ॥ ५२ ॥ से कितं अंतगडद लागो ? अंतगडदसासु ण अंतगडाणं नगराई, उजाणाई,चेइयाई, वसंडाई,समोसरणाई,रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इड्ढिविसेसा, भोगपरिचागा, पयजामो, परिश्रागा, सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई, संलेहणाओ, मत्तपच्चक्खागाई, पायोवगमणाई अंतकिरियानो, आघविजंति । अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखिजा अणुयोगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेज.ओ निउजुत्तीग्रो, संखेजाओ संगहणीओ, संखेजाओ पडिवत्तीयो। से ग अंगठ्ठयार अट्टमे अंगे, एगे सुयक्खधे, अट्ट वरना, अट्ठ उद्द समकाला, अट्ट समुद्देसणकाला, संखेजा पयसहस्सा पयग्गेरंग; संखेजा अक्खरा, अशांता गमा, अशंता पजवा, परित्ता तसा, अता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिनपराग,त्ता भावा आघदिज्जंति, पन्नविज्जति परूविजंति, दंसिज्जति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति; से एवं प्राया, एवं नाया, एवं विनाया, एवं चरर करणपरूवणा आघविजइ; से तं अंतगडदसाओ ॥ ८ सृ० ।। ५३ ॥ से किं तं अणुत्तरोववाइयदलायो ? अणुत्तरोववाइयदसासु ण अणुत्तरोववाइयाणं नगगई, उजाणाई, चेइयाई, वणसंडाइ, समोसरणाई, रायाणो, अम्नापियरो, धम्मायरिया,
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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