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________________ श्रीनन्दीसूत्र] [२१९ अविसे सिया मई, मइनाणं च मइअन्नाणं च । विसेलिया सम्मदिद्धिस्स मई मइनाणं, मिच्छद्दिटिरस मई मइअन्नाणं । अविसेसियं सुयं सुयनाणं च सुयअन्नाणं च । विसेसियं सुयं सम्मदिहिस्स सुयं सुयनाणं, मिच्छद्दिहिस्स सुयं सुयअन्नाणं ॥ सू० ।। २५ ॥ से किं तं आभिणिबोहियनाणं ? अभिणिबोहियनाणं दुविह पराणत्तं, तंजहा-सुयनिस्सियं च, असुयनिस्सियं च । से किं तं असुयनिस्सियं ? असुयनिरिसयं चउव्विहं घराण, तंजहाउप्पत्तिया १, वेणइया २, कम्मया ३, परिणामिया ४। बुद्धी चउम्विहा कुत्ता, पंचमा नोवल भइ ॥१४।। सू० ॥ २६ ॥ पुवमदिट्टमस्सुयमवेइय-तक्खणविसुद्धगहियथा। अव्वाहयफलजोगा, बुद्धी उप्पत्तिया नाम ।। १५॥ भरह-सिल-मिंढ-कुक्कुड-तिल-वालुय-हत्थी-अगडवणसंडे । पायस-अइया-पत्ते-खाडहिला-पंच पिरोय॥१६॥ भरहसिल-पणिय-रुक्खे--खुड्डग-पड-सरड-कायउच्चारे।गय-घयण-गोल-खंभे-खुड्डग--मग्गि--स्थि-पइ-पुत्ते॥ १७ ॥ महुसित्थ--मुद्दि--अंके--नाणए-भिक्खु-चेडगनिहाणेसिक्खा य अत्थसत्थे-'इच्छा-य महं-सयसहस्से ॥१८॥ भरनित्थरणसमत्था, तिवग्गसुत्तत्थगहियपेयाला । उभओ लोगफलवई, विणयसमुत्था हवइ बुद्धी ॥ १९ ॥ १-इत्थी ।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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