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________________ २१२] [ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला जोयणं वा जोयणपुहुत्तं वा, जोयणसय वा जोयर सय पुष्टुत्तं वा, जोयासहस्सं वा जोयणसहस्सपुहुत्तं वा, जोयणलक् वा जोयालक्खपुहुत्तं वा जोयाकोडिं वा जोयणकोडिपुहुत्तं वा जोयणकोडाकोडिं वा जोयणकोडाकोडिपुहुत्तं, वा जोयासंखिजं वा जोयणासंखिजपुहुत्तं वा, जोया अखेज्जं वा जोय असंखेज्जपुहुत्त वा उक्कोमेणं लोगं वा पासित्ताणं पडिवइजा। से तं पडिवाइअोहिनाणं ॥ १४ ।। । से किं तं अपडिवाइ-ओहिनाणं ? अपडिवाइ-श्रोहिनाणं जेां अलोगस्ल एगमवि आगा. सपएसं जाणइ पासइ तेरा। परं अपडिवाइ प्रोहिनाणं । से तं अपडिवाइ भोहिनाणं ।।१५।। तं समासओ चउविहं पराणतं, तंजहा-दवओ, खित्तओ, कालो, भावो । तत्थ दबओ योहिनाणी जहाँ ने अणंताई रूविदव्वाई जाणइ पासइ, उक्कोसेणं सम्वाइं रूविदव्वाई जाइ पासइ। खित्तभोग ओहिनाणी जहन्नणं अंगुलस्स असंखिज्जयभाग जाणइ पासइ, उकोसेणं आसंखिज्जाई अलोगे लोगप्पमाण-मित्ताई खंडाइं जाणइ पासइ ! कालोणं अोहिनाणी जहण प्रावलियाए असंखिज्जयभाग जाणइ पासइ, उकोसेणं असंखिज्जाओ उस्सपिणीग्रो अवसप्पिणीयो अईय. मणागयं च कालं जाणइ पासइ । भावओ णं ओहिनाणी जहन्त्रेणं अते भावे जाणइ पासइ, उक्कोसेण वि अगते भावे जाणइ गलइ । सम्वभावाणमणंतभागं जाणइ पासइ ॥ १६ ॥ श्रोही भवपच्चइओ गुणपञ्चइओ य वरिणश्रो दुविहो। तस्म य बहू विगप्पा दव्वे खित्ते य काले य ॥६॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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