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________________ १७२ ] जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला जीमूयनिद्धसंकासा, गवलरिट्ठगसन्निभा । खंजंजणनयणनिभा, किराहलेसा उ वगणो ॥४॥ नीलासोगसंकासा, चासपिच्छसम्प्पभा। . वेरुलियनिद्धसंकासा, नीललेला उ वराणो ॥५।। अयसीपुप्फसंकासा, कोइलच्छदसन्निभा। पारेवयगीवनिभा, काऊलेसा उ वरणभो ॥६॥ हिंगुलयधाउसंकासा. तरुणाइच्चसन्निभा। सुयतुण्डपईवनिभा, ते उलेसा उ वरणग्रो ॥७॥ हरियालभेयसंकासा, हलिहाभेयसमप्पभा'। सणासणकुसुमनिभा, पम्हलेसा उ वराणो | संखंककुन्दसकासा, खीरपूरसमप्पभा । रययहारसंकासा, सुक्कलेसा उ वरणग्रो ॥९।। कडुयतुम्बगरसो, निम्बरसो कडुयरोहिणिर सो वा । एत्तो वि अणन्तगुणा, रसो य किण्हाए नायव्यो ॥१०॥ जह तिकडुयस्स य रसो, तिक्खो जह हथिपिप्पलीए वा। एत्तो वि अणन्तगुणो, रसो उ नीलाए नायवो ॥११॥ जह तरुणअम्बगरसो, तुवरकविठ्ठस्स वावि जारिसरो। एसो वि अणन्तगुणो, - रसो उ काऊण नायव्वो ॥१२।। जह १. हलिहाभेदसनिभा।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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