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________________ १४४ ] [ जीवन - श्रेयस्कर - पाठमाला, वयगुत्तयाएं णं भन्ते ! जीवे किं जरण्यइ ? व० निव्वियारत्तं जणय | निव्विारे गं जीवे बइगुत्ते अज्झप्पजोगसाहणजुत्ते यावि विहर || ५४|| कायगुत्ता गं भन्ने ! जीवे किं जणयइ ? का० संवरं जय | संवरणं कायगुत्ते पुणो पावासवनिरोहंकरेइ ||२५|| मणसमाहारण्याए गं भन्ते ! जीवे किं जण्यइ ? म० एगग्गं जइ । एगग्गं जणइत्ता नागपजवे जयइ | नागपजत्रे जणइत्ता सम्मत्तं विसोहेइ मिच्छत्तं च निजरेइ || ५६ ॥ वयसमाहारण्याए भंते ! जीवे किं जरण्यइ ? व० वयसाहारणदंसणपत्रे विसोहेइ । वयसाहारणदंसणपज्जवे विसोहित्ता सुलहवोहियत्तं नित्र्वत्तेर, दुल्लहबोहियत्तं निजरे ||२७|| कायसमाहारण्याए गं भन्ते ! जीवे किं जरण्यइ ? का० चरित्पज्जवे विसोइ । चरित्तपजवे विसोहित्ता ग्रहखायचरितं विसोहे । अहक्लायचरितं विसोहेत्ता चत्तारि केवलिकम्मंसे खवेइ । तओ पच्छा सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिfrosis, सखारामन्तं करेइ ||५८ || नाणसंपन्नया एं भन्ते ! जीवे किं जणय ? ना० जीवे सव्वभावाहिगसं जणयइ | नाणसंपन्ने जीवे चाउरन्ते संसारकन्तारे न विस्तइ । जहासूई सत्ता पडिया न दिस्सर | तहा जीवे ससुत्ते संसारे न विएस्सइ || नाविण्यतवचरितजोगे संपाउण्ड, ससमय पर समयविसार व संवाणिजे भव ॥५९॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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