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________________ १४२] [ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाल. सहायपच्चक्खाणेण भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? स० एगीभावं जणयइ । एगीभावभूए य शं जीवे एगत्तं भावेमाणे अप्पसद्दे, अप्पझंझे, अप्पकलहे. अप्पकसाप, अप्पतुमंतुमे, संजमबहुले, संवर बहुले, समाहिए यावि भवइ ।।३९॥ भत्तपञ्चक्खाणेण भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? भ० प्रणेगाई भवसयाई निरुम्भइ ॥४०॥ __ सब्भावपञ्चक्खाणेणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? स० अनियहि जणयइ । अनियट्टिपडिवन्ने य अगारे चत्तारि केवलीकम्मसे खवेइ तंजहा-वेयणिजं आउय नाम गोयं । तओ पच्छा सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ जाव सव्वदुक्खाणमन्तं करेइ ॥४॥ पडिरूवयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? प० लाघवियं जणयइ । लघुभूए णं जीवे अप्पमत्ते पागडलिंगे पसथलिंगे विसुद्धसम्मत्ते सत्तसमिइसमत्ते सव्वपाणभूयजीवसत्तेसु वीससणिजरूवे अप्पडिलेहे जिइन्दिए विउलतवसमिइसमनागए यावि भवइ ॥४२॥ वेयावञ्चणं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? वे० तित्थयरनामगोतं कम्मं निबन्धइ ॥४३॥ सव्वगुणसंपन्नयाए भन्ते ! जीवे कि जणयइ ? स० अपुणरावत्तिं जणयइ । अपुणरावत्तिं पत्तए य र जीवे सारीरमाणसाणं दुक्खाणं नो भागी भवइ ।।४४॥ वीयरागयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ? वी० नेहाणुबन्धणाणि तण्हाणुबन्धणाणि य वोच्छिन्दइ, मणुन्नामणुन्नेसु सद्दफरिसरूवरसगन्धेसु' चेव विरजइ ॥४५॥ १-सु सचित्ताचित्तमीसएसु।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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